myjyotish

6386786122

   whatsapp

6386786122

Whatsup
  • Login

  • Cart

  • wallet

    Wallet

विज्ञापन
विज्ञापन
Home ›   Blogs Hindi ›   Masik Durga Ashtami 2021 Puja Vrat Vidhi Significance

मासिक दुर्गाष्टमी आज, जानें कैसे करें पूजन एवं क्या हैं इसका महत्व ?

Myjyotish Expert Updated 20 Feb 2021 02:28 PM IST
Durga ashtami
Durga ashtami - फोटो : Myjyotish
विज्ञापन
विज्ञापन
नवरात्र में नौ दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है। इस दौरान मां दुर्गा के भक्त माता का आशीष प्राप्त करने के लिए नौ दिनों तक व्रत रखते हैं। भक्तों के स्नेह को देखकर माता रानी प्रसन्न होकर भक्तों को आशीष देती हैं। कहते हैं कि नवरात्र में देवी की उपवास करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
 
दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है।आमतौर पर दुर्गा पूजा सितम्बर या अक्टूबर माह में होती है जिसके लिए लोग तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है। दुर्गा पूजा वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है हैं हालाँकि दुर्गा पूजा मुख्य रूप से बंगाल, असम, उड़ीसा, झारखण्ड इत्यादि जगहों पर बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है ।
 
दुर्गा पूजा को लेकर कई लोक कथाएं हैं। एक लोक कथा के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर ने नवरात्र के महानवमी और दुर्गाष्टमी की पूजा पर आपस में चर्चा की थी। इसका वर्णन पुराणों में भी देखने को मिलता है। दूसरी ओर देवी दुर्गा और राक्षस महिषासुर के बीच हुए युद्ध का प्रतीक भी माना जाता है। कहते हैं कि राक्षस महिषासुर ने ब्रह़मा जी से प्रार्थना कर कई वरदान मांग लिए इसके बाद असुर सेनाओं के साथ मिलकर देवताओं के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया। मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया। इसलिए यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत माना जाता है।

गुप्त नवरात्रि की अष्टमी पर कराएं दुर्गा सप्तशती पाठ, मिलेगा समस्त परेशानियों से छुटकारा - 20 फरवरी 2021
 
मान्यता है कि अष्टमी और नवमी के बदलाव वाले समय में मां दुर्गा अपनी शक्तियों को प्रकट करती हैं। इसलिए इस दिन एक विशेष प्रकार की पूजा की जाती है जिसे चामुंडा की सांध्यपूजा के नाम से जाना जाता है।
 
महाष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्यक्ति को देवी भगवती की पूरे विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। माता की प्रतिमा अच्छे वस्त्रों से सुसज्जित रहनी चाहिए, प्रतिमा को सारे पारंपरिक हथियारों से लैस रहना चाहिए जैसे उनके सिर पर जो छत्र होता है उस पर एक चांदी या सोने की छतरी होनी चाहिए।
 
पूजन विधि

यज्ञ करने के बाद व्न्या रूपी देवी को भोजन कराना चाहिए। इसके बाद उसे उपहार देना चाहिए। कंजक पूजन के बाद देवी भगवती का अपने परिवार के साथ ध्यान करें। मां भगवती से सुख-समृद्धि की कामना करें। इसके बाद ‘या देवी सर्वभूतेषु शांति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’ का ग्यारह बार जाप करें।

यह भी पढ़े :-         

बीमारियों से बचाव के लिए भवन वास्तु के कुछ खास उपाय !

क्यों मनाई जाती हैं कुम्भ संक्रांति ? जानें इससे जुड़ा यह ख़ास तथ्य !

जानिए किस माला के जाप का क्या फल मिलता है

  • 100% Authentic
  • Payment Protection
  • Privacy Protection
  • Help & Support
विज्ञापन
विज्ञापन


फ्री टूल्स

विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
X