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सर्वपितृ अमावस्या पर हरिद्वार में कराएं ब्राह्मण भोज, दूर होंगी पितृ दोष से उत्पन्न समस्त कष्ट - 14 अक्टूबर 2023
कालाष्टमी पूजन का शुभ समय
आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी 6 अक्टूबर को 06:34 पर आरंभ होगी और 7 अक्टूबर को 08:08 पर समाप्त होगी काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है. इस दिन महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन भक्त सुबह स्नान-ध्यान के बाद पूजा कर सकते हैं. इस दिन सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए इसके बाद षोडशोपचार करनी चाहिए और भगवान भैरव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस समय शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें और मंत्रों का जाप करना शुभ होता है. पूजा के अंत में आरती करनी चाहिए और सुख-समृद्धि और आय में वृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए. भगवान भैरव की पूजा करने से काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं.
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कालाष्टमी पूजा लाभ
कालाष्टमी का व्रत भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है जिससे जीवन में सुखों का आगमन होता है.
भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना गया है और इनकी पूजा द्वारा सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
ज्योतिष शास्त्र अनुसार एव्म धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कालाष्टमी व्रत करने से पाप ग्रहों की शांति होती है.
काल भैरव की पूजा दिन और रात्रि दोनों समय में की जाती है.
काल भैरव तंत्र शास्त्र में विशेष स्थान रखते हैं ओर इनकी पूजा द्वारा समस्त नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं.