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Home ›   Blogs Hindi ›   Masik Kalashtami 2023: When is Masik Kalashtami? Know the auspicious time and importance of puja

Masik Kalashtami 2023: मासिक कालाष्टमी कब है? जानें पूजा का शुभ समय और विधि महत्व

my jyotish expert Updated 06 Oct 2023 03:43 PM IST
Masik Kalashtami 2023
Masik Kalashtami 2023 - फोटो : google
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कालाष्टमी हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और इस दिन भगवान भैरव का पूजन होता है. यह दिन महादेव को समर्पित है होता है तथा तंत्र शास्त्र में इस दिन को विशेष माना गया है. इस दिन महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है. तंत्र मंत्र सीखने वाले लोग सिद्धि प्राप्त करने के लिए निशा काल में काल भैरव देव की पूजा करते है.  इस दिन विशेष कार्यों में सिद्धि के लिए पूजन एवं व्रत का पालन किया जाता है. बाबा भैरव की विधि-विधान से पूजा करने पर भगवान भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांछित फल देते हैं. धार्मिक मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है.  आइए जानते हैं कालाष्टमी पूजा का शुभ समय और महत्व 
  
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कालाष्टमी पूजन का शुभ समय
आश्विन माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी 6 अक्टूबर को 06:34 पर आरंभ होगी और 7 अक्टूबर को 08:08 पर समाप्त होगी काल भैरव देव की पूजा निशा काल में की जाती है.  इस दिन महादेव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन भक्त सुबह स्नान-ध्यान के बाद पूजा कर सकते हैं. इस दिन सबसे पहले सूर्य देव को जल अर्पित करना चाहिए इसके बाद षोडशोपचार करनी चाहिए और भगवान भैरव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. इस समय शिव चालीसा, शिव स्तोत्र का पाठ करें और मंत्रों का जाप करना शुभ होता है.  पूजा के अंत में आरती करनी चाहिए और सुख-समृद्धि और आय में वृद्धि की प्रार्थना करनी चाहिए. भगवान भैरव की पूजा करने से काल, कष्ट, दुख और संकट दूर हो जाते हैं.  

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कालाष्टमी पूजा लाभ
कालाष्टमी का व्रत भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है जिससे जीवन में सुखों का आगमन होता है.
भगवान काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना गया है और इनकी पूजा द्वारा सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं.
ज्योतिष शास्त्र अनुसार एव्म धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कालाष्टमी व्रत करने से पाप ग्रहों की शांति होती है. 
काल भैरव की पूजा दिन और रात्रि दोनों समय में की जाती है. 
काल भैरव तंत्र शास्त्र में विशेष स्थान रखते हैं ओर इनकी पूजा द्वारा समस्त नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं. 
 
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