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कालभैरव जयंती पर दिल्ली में कराएं पूजन एवं प्रसाद अर्पण, बनेगी बिगड़ी बात -05 दिसंबर 2023
मार्गशीर्ष माह का महत्व
हर कोई भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में डूबा हुआ है. मार्गशीर्ष माह को अगहन नाम से भी जाना जाता है. सामान्य लोक व्यवहार में लोग अगहन माह के समय खान पान में सात्विकता का आचरण रखते हैं धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े काम करते हैं. भगवान की भक्ति और पवित्र स्नान, साधना और दान के लिए बहुत शुभ मानते हैं.
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मान्यताओं के अनुसार हर कोई भक्ति की लौ अपने भीतर जागृत कर सकता है. इस समय में भगवान का वास होता है. इस शुभ समय में कई तरह के शुभ और मांगलिक कार्य किये जाते हैं. इस महीने में आने वाले सभी व्रत और त्योहार बहुत खास माने जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार इस माह में भगवान श्री राम और देवी सीता का विवाह होता है, गीता का प्रार्दुभाव भी इसी समय पर हुआ माना गया है.
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मार्गशीर्ष माह को बहुत ही शुभ समय माना जाता है. इस कारण से इस समय दान इत्यादि के कार्य अत्यंत शुभ फल देने वाले होते हैं. मार्गशीर्ष माह के समय पर तिल का दान करना बहुत विशेष होता है. इस दौरान तिलों से बने भोज्य पदार्थों का दान करने से भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
मार्गशीर्ष माह पवित्र महीना होता है और इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है. इस महीने में भगवान श्री कृष्ण की पूजा का विधान बहुत खास है. शास्त्रों के अनुसार इस समय किए गए धार्मिक कार्यों से मोक्ष पाने का सुख प्राप्त होता है. इस माह में धार्मिक पूजा पाठ से जुड़े कार्य करने से जीवन में सकारात्मक और आध्यात्मिक सुधार संभव है.
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मार्गशीर्ष माह में गीता पाठ करना विशेष होता है. इस पूजन का विशेष महत्व माना गया है ओर इस समय पर ही गीता जयंती भी मनाई जाती है. इस समय भगवत गीता का पाठ अवश्य करना चाहिए. मान्यता है कि इस समय किया गया गीता का स्वाध्याय भक्तों को शक्ति और समृद्धि का सुख प्रदान करता है.