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Mangla Gauri Vrat 2023: इस कथा से पूर्ण होगा अधिकमास का मंगला गौरी व्रत, जानें इसका महत्व

my jyotish expert Updated 04 Aug 2023 10:24 AM IST
Mangla Gauri Vrat 2023: इस कथा से पूर्ण होगा अधिकमास का मंगला गौरी व्रत, जानें इसका महत्व
Mangla Gauri Vrat 2023: इस कथा से पूर्ण होगा अधिकमास का मंगला गौरी व्रत, जानें इसका महत्व - फोटो : google
सावन माह में आने वाले मंगलवार को मंगला गौरी पूजन के लिए जाना जाता है. भगवान शिव के साथ इस दिन देवी गौरी का पूजन होता है. तथा इसके द्वारा सौभाग्य एवं अखंड सौभगय की प्राप्ति का योग भी बनता है. सावन माह में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत रखा जाता है. यह मंगला गौरी  व्रत माता पार्वती को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि मंगला गौरी व्रत के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है. यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और पुत्र प्राप्ति के लिए रखती हैं.
 
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मंगला गौरी व्रत शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार सावन के अधिकमास का अगला मंगला गौरी व्रत 8 अगस्त के दिन रखा जाएगा. इस दिन सावन महीने की अष्टमी तिथि भी होगी और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है.  सावन के तीसरे मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि में सौभाग्य एवं सुख की प्राप्ति को विशेष रुप से पाने का प्रयास होता है. इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करने के पश्चात व्रत का संकल्प धारण किया जाता है. मां पार्वती का स्मरण करते हुए पूजा को किया जाता है.  इसके साथ देवी मंत्र का जाप करते हैं. चौकी पर मां मंगला गौरी का चित्र स्थापित करते हैं तथा लाल चुनरी अर्पित की जाती है माता पर. दीपक को प्रज्जवलित करते हुए पूजा आरंब ह होती है. इस दिन कथा का श्रवण एवं पठन विशेष होता है. 

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मंगला गौरी की व्रत कथा
मंगला गौरी की व्रत के दिन कथा का पाठ करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मंगला गौरी कथा इस प्रकार है की एक नगर में धर्मपाल नाम का एक सेठ रहा करता था. सेठ धर्मपाल के पास धन की कोई कमी नहीं थी, लेकिन उनके पास कोई संतान नहीं थी. वह सदैव इसी सोच में डूबा रहता था कि यदि उसकी कोई संतान नहीं होगी तो उसका उत्तराधिकारी कौन होगा. उसका वैभव एवं धन का क्या होगा. उसके लिए कौन पितृ तरपण करेगा कैसे उसका वंश आगे बढ़ेगा. ऎसे में वह एक गुरु से मिलता है इसके बाद गुरु की सलाह के अनुसार सेठ धर्मपाल ने भक्तिपूर्वक माता पार्वती की पूजा की. प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उन्हें संतान प्राप्ति का वरदान पाया. लेकिन वह संतान अल्पायु होगी. बाद में धर्मपाल की पत्नी ने एक पुत्र को जन्म दिया.

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इसके बाद धर्मपाल ने ज्योतिषी को बुलाकर पुत्र का नामकरण कराया और माता पार्वती की भविष्यवाणी के बारे में बताया. ज्योतिषी ने धर्मपाल को अपने बेटे का विवाह मंगला गौरी व्रत करने वाली लड़की से करने की सलाह दी. मंगला गौरी व्रत के प्रभाव से आपका पुत्र दीर्घायु होगा. सेठ धर्मपाल ने अपने इकलौते पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से कर दिया. लड़की के पुण्य से धर्मपाल का पुत्र मृत्युपाश से मुक्त हो गया. तभी से मां मंगला गौरी का व्रत रखने की प्रथा चली आ रही है.

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