Mangala Gauri Vrat 2023: मंगला गौरी व्रत के दिन इस विधि से करें मां गौरी की पूजा मिलेगा शुभता का आशीर्वाद
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सावन के मंगलवार के दिन मंगलागौरी व्रत का समय होता है. इस बार अगला मंगला गौरी व्रत 22 अगस्त को रखा जाएगा. इस समय पर देवी पार्वती के साथ भगवान शिव की पूजा भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है. सावन महीने के हर मंगलवार को यह व्रत रखा जाता है. यह व्रत देवी पार्वती को समर्पित है और इस दिन उनकी विधि-विधान से पूजा की जाती है. हिंदू धर्म में सिर्फ सावन का मंगलवार बहुत खास माना जाता है. सावन का मंगलवार मां गौरी को समर्पित है और इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. अगर मां गौरी के साथ भगवान शिव की भी पूजा की जाए तो दांपत्य जीवन में खुशहाली बनी रहेगी. पंचांग के अनुसार आज यानी 1 अगस्त को सावन का पांचवां मंगला गौरी व्रत है. आइए जानते हैं इसका महत्व और पूजा विधि.
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मंगला गौरी व्रत 2023 पूजा एवं मुहूर्त
हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में खुशहाली के लिए कई व्रत और उपवास रखती हैं. जिनमें से एक है मंगला गौरी व्रत जो मां गौरी को समर्पित है. मंगलवार 22 अगस्त के दिन षष्ठी तिथि पर इस व्रत को किया जाएगा. इस दिन स्कंद षष्ठी के साथ ही कल्कि जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा. चित्रा नक्षत्र के साथ ही ही शुक्ल नामक शुभ योग की प्राप्ति होगी.
सभी भक् एक अच्छे जीवनसाथी की कामना से मंगला गौरी का व्रत रखते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है उसके लिए मंगला गौरी व्रत अत्यंत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है.
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मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
सावन के मंगलवार को प्रात:काल से ही व्रत से संबंधित कार्य आरंभ हो जाते हैं. इस दिन मां गौरी की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस दिन सुबह जल्दी उठें, स्नान करें, साफ कपड़े पहनें और पूजा स्थल को गंगा जल छिड़क कर साफ करने के बाद मां गौरी और भगवान शिव की मूर्ति को स्थित करके पूजा शुरु की जाती है. भगवान को फूल, फल चढ़ाया जाता है और घी का दीपक जलाते हैं. मंगला गौरी व्रत कथा पढ़ते हैं और मां गौरी की आरती करते हैं. अगले दिन सुबह सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद व्रत का पारण किया जाता है.