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मंगला गौरी व्रत की व्रत विधि और महत्व
अविवाहित लड़कियां एक अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं. यह व्रत सावन के महीने में आने वाले शुक्लो पक्ष एवं कृष्ण पक्ष दोनों ही समय के मंगलवार के दिन पर मनाया जाता है और यह देवी पार्वती को समर्पित है. भक्त इस व्रत को शुद्ध भक्ति के साथ रखते हैं, प्रार्थना करते हैं और आशीर्वाद पाने के लिए भजन और मंत्रों का जाप करते हैं. मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के दौरान केवल मंगलवार को मनाया जाता है और इसे एक शुभ व्रत माना जाता है. सावन के महीने में आने वाला मंगला गौरी व्रत महिलाओं के लिए एक पवित्र व्रत माना जाता है. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की सुरक्षा, दीर्घायु और कल्याण के लिए रखती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अच्छा पति पाने के लिए यह व्रत रखती हैं. अब अगला सातवां मंगला गौरी व्रत सावन माह में अधिक मास के दौरान 15 अगस्त 2023 को मनाया जा रहा है.
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मंगला गौरी व्रत 2023 पूजा
मंगलवार 15 अगस्त के दिन चतुर्दशी तिथि 12:42 तक रहने वाली है उसके पश्चात अमावस्या का आरंभ होगा. मंगलागौरी पूजन चतुर्दशी के दिन होगा.
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मंगला गौरी व्रत 2023: पूजा अनुष्ठान
सुबह जल्दी उठकर मंगला गौरी व्रत का संकल्प लेते हैं, पवित्र स्नान करते हैं तथा साफ कपड़े धारण किए जाते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया जाता है. सोलह बत्तियों वाला मिट्टी का दीपक जलाते हैं तथा प्रतिमाओं को फूलों से सजाते हैं. कुमकुम और हल्दी का तिलक लगाया जाता है तथा सोलह प्रकार का भोग प्रसाद चढ़ाए जाते हैं. देवी को प्रसन्न करने और आशीर्वाद पाने के लिए व्रत कथा और भजन और मंत्रों का पाठ करते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करते हैं. शाम के समय भोग प्रसाद चढ़ाते हैं