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Home ›   Blogs Hindi ›   Mangala Gauri Vrat 2023: Mangala Gauri Vrat, the third of Sawan, will get benefit of worship in auspicious yog

Mangala Gauri Vrat 2023: सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत, शुभ योग में पूजा का मिलेगा लाभ

my jyotish expert Updated 18 Jul 2023 09:58 AM IST
अधिकमास का मंगला गौरी व्रत
अधिकमास का मंगला गौरी व्रत - फोटो : google
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सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा करने का विधान है. मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में प्रेम और सौभाग्य का फल प्राप्त होता है. आने वाले मंगलवार को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत होगा है. इस दिन शुभ योग के साथ इस पर्व का संयोग देगा विशेष फल. सौभाग्य में होगी वृद्धि और मिलेगा सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद.

इस दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है जो अधिकमास के आरंभ का समय भी होगी. इसके कारण यह अधिकमास में पड़ने वाला व्रत भी होगा.  सावन के हर मंगलवार को मंगला गौरी की पूजा करने का विधान है. मंगला गौरी व्रत करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है और अखंड सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है. 18 जुलाई 2023 को मंगला गौरी व्रत पर बने शुभ योग देंगे जीवन में सुख समृद्धि का लाभ 

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मंगला गौरी व्रत 2023 मुहूर्त
श्रावण अधिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन मंगलवार होने से मंगला गौर व्रत को किया जाएगा.  मंगला गौरी व्रत के साथ ही अधिकमास का आरंभ होगा.  चंद्रमा कर्क राशि में होगा पुष्य नक्षत्र योग शुभ कार्यों के लिए अच्छा माना जाता है. इस योग में मंगला गौरी का व्रत रखने और माता पार्वती की पूजा करने से आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. मां गौरी की कृपा से आपको कार्यों में सफलता प्राप्त होगी. 

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मंगला गौरी व्रत और पूजा विधि
आज सुबह स्नान के बाद आप साफ कपड़े पहन कर मंगला गौरी व्रत तथा पूजा का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद शुभ मुहूर्त में मां मंगला गौरी और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए. माता पार्वती को ही मां मंगला गौरी कहा जाता है. सबसे पहले भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत्, फूल आदि चढ़ा कर पूजा करनी चाहिए. उसके बाद माता पार्वती को लाल फूल, सिंदूर, अक्षत्, कुमकुम, फल और श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हुए पूजन आरंभ करना चाहिए. इसके बाद घी का दीपक जला कर माता की आरती करनी चाहिए.  इसके बाद शिव चालीसा और माता पार्वती की चालीसा पढ़नी चाहिए फिर मंगला गौरी व्रत कथा पढ़ें और अंत में घी के दीपक से क्रमशः भगवान शिव और मंगला गौरी की आरती करनी चाहिए. आरती के बाद मां मंगला गौरी से मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करें. अगले दिन सुबह स्नान के बाद सूर्योदय पश्चात पारण करके व्रत को पूरा करना चाहिए. 

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