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Malmas 2023 Date: मलमास का हुआ आरंभ, जानें इसका महत्व, मान्यताएं और महत्वपूर्ण दान

my jyotish expert Updated 18 Jul 2023 10:15 AM IST
Malmas 2023 Date: मलमास का हुआ आरंभ, जानें इसका महत्व, मान्यताएं और महत्वपूर्ण दान
Malmas 2023 Date: मलमास का हुआ आरंभ, जानें इसका महत्व, मान्यताएं और महत्वपूर्ण दान - फोटो : google
श्रावण माह के अधिकमास का आरंभ मंगलवार से होगा. इस बार सावन में भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ भगवान विष्णु की पूजा का भी महत्व रहने वाला है, इस बार सावन महीने के बीच में मलमास यानी अधिक मास होने से श्री विष्णु जी की पूजा का विशेष लाभ भक्तों को मिलने वाला है.

ज्योतिष गणना के अनुसार अधिकमास यानि मलमास हर तीन साल में आता है. इस वर्ष मलमास 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगा. इन दिनों में जहां कुछ काम करने से पुण्य मिलता है तो वहीं कुछ काम करने से परहेज करने की भी बात कही जाती है और विशेष वस्तुओं का दान करने से शुभ फल प्राप्ति होती है. आइये मलमास के बारे में विस्तार से जानते हैं.

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मलमास क्यों पड़ता है?
इस वर्ष विक्रम संवत 2080 में चंद्र श्रावण मास 18 जुलाई मंगलवार से 16 अगस्त बुधवार 2023 ई. तक मल मास रहने वाला है. जिस माह में सूर्य की संक्रांति नहीं होती वह माह अधिकमास होता है और जिसमें दो संक्रांति होती है वह क्षयमास होता है. ज्योतिषीय गणित के अनुसार एक सौर वर्ष का मान लगभग 365 दिन, 6 घंटे और 99 सेकंड होता है,

जबकि चंद्र वर्ष का मान लगभग 354 दिन और 8 घंटे होता है. दोनों वर्षों में 10 दिन 28 घंटे 9 मिनट का अंतर है. इस अंतर को दूसर करने के लिए अधिकमास का निर्धारण किया जाता है. इस प्रकार हर तीसरे वर्ष अधिक मास यानि मल मास की पुनरावृत्ति होना निश्चित है. इस कारण से यह समय अत्यंत विशेष बन जाता है.

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मलमास का महत्व
लोक व्यवहार में इसे पूजा जप एवं आध्यात्मिक विषयों के कार्यों में अत्यंत पुण्यदायी माना गया है. इस कारण इसे पुरूषोत्तम-मास आदि नामों से भी जाना जाता है. मलमास नाम अनुरुप यह माह जितना निंदित है, पुरूषोत्तम मास की दृष्टि से उतना ही महिमामंडित भी है. ऐसा माना जाता है कि परोपकार और तिरस्कार से दुखी होकर जब इस माह ने कठोर तपस्या करके भगवान विष्णु को प्रसन्न किया था. 

भगवान श्री ने प्रसन्न होकर कहा कि जिस प्रकार मैं गुणों, यश प्रभाव, धन, पराक्रम, भक्तों को वरदान देने के कारण त्रिलोक में प्रसिद्ध हूं, उसी प्रकार तुम भी मेरे पुरूषोत्तम नाम से पृथ्वी पर प्रसिद्ध होगे. इस कारण से इस समय प्रतिदिन भगवान की पूजा करनी चाहिए. तुलसी के पत्तों से शालिग्राम का पूजन अनंत पुण्य फल देने वाला है.

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