विज्ञापन
विज्ञापन
क्यों महादेव और माता गौरी को समर्पित है ये दिन! जाने इसका महत्त्व ,पूजा विधि,और कथा
महेश नवमी का दिन महादेव को समर्पित है। इस दिन महादेव और माता गौरी की विशेष पूजा की जाती है।कहा जाता है की ये मनोकामना पूर्ति व्रत है। महेश नवमी हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता गौरी ने शिव जी की पूजा की थी।कही–कही महेश नवमी आठ जून को दिखा है और कही–कही नौ जून को है।ऐसी मान्यता है की इस दिन माहेश्वरी समाज को ऋषियों के श्राप से महादेव ने मुक्त करवाया था।और उनको महादेव का नाम मिला।इसी दिन महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई। जिससे उनके समाज का नाम महेश्वरी पड़ गया।
महेश नवमी माहेश्वरी समाज करता है। धार्मिक मान्यता है की,इस दिन जिस पर माता पार्वती और शिव जी की कृपा होती है वो सभी पापों से मुक्त हो जाता हैं।इस दिन व्रत भी रखते है। धर्मग्रंथों में उल्लेख मिलता है की महेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे। भगवान शिव की कृपा से ही इनको महेश्वरी समाज की पहचान मिली।ये समाज इस दिन बहुत भव्य आयोजन करता है।आइए जानते है इस दिन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बातें और पूजा विधि।
आज ही करें बात देश के जानें - माने ज्योतिषियों से और पाएं अपनीहर परेशानी का हल
महेश नवमी शुभ मुहूर्त
अगर देखा जाए तो महेश नवमी दो दिन पड़ गया है।
महेश नवमी की तिथि आठ जून को सुबह 8:20 मिनट से प्रारंभ होगा।जो 9 जून को 8:21मिनट तक रहेगा।इस तिथि के अनुसार महेश नवमी आठ जून को ही मनाया जाएगा। दूसरा हिंदू पंचांग के अनुसार आठ जून को 8:30 से शुरू होगा और नौ जून को 8:21 तक रहेगा।इसके बाद दशमी। पर अपने हिंदू धर्म के अनुसार सूर्योदय के बाद का समय माना जाता है।जिसको व्रत रखना है वो नौ जून को रखेगा।
महेश नवमी का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महेश्वरी समाज के पूर्वज क्षत्रिय वंश के थे।इनको ऋषियों से मिले श्राप से मुक्ति महादेव ने दिलाई और इस समाज को अपना नाम दिया। महेश्वरी नवमी महेश समाज मानते है।इनको महादेव से आशीर्वाद प्राप्त है।इनकी उत्पत्ति भी इसी दिन हुआ था।महेश नवमी हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को महेश नवमी के तौर पर मनाया जाता है।इस दिन माता पार्वती और शिव जी की विशेष तौर पर पूजा की जाती है।
इस दिन व्रत रखकर माता पार्वती और शिव जी को प्रसन्न करने की कोशिश करते है।ये व्रत मनोकामना पूर्ति होता है।इस दिन महेश्वरी समाज के लिए बहुत धार्मिक होता है।हर जगह महेश नवमी बड़े धूम धाम से मनाया जाता हैं।ये त्योहार तीन–चार दिन पहले से ही शुरू हो जाता है।जिसमे धार्मिक,सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रम चलते है।इस दिन इस समाज के लोग व्रत रखते है।मंदिर में जा कर शिवलिंग का अभिषेक करते है।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
ऐसे की जाती है की शिव और माता गौरी की पूजा
इस दिन सुबह उठकर स्नान करके स्वच्छ कपड़ा पहने।आप इस दिन व्रत रखें।मंदिर में जाकर माता गौरी और शिव जी की विधवत पूजा पाठ करे। भगवान शिव के शिवलिंग रूप का अभिषेक करे।उन्हें भस्म, धतूर,भांग,कच्चा दूध,दही,बेलपत्र,फूल इत्यादि अर्पित करे।ऐसा करने से शिव जी बहुत प्रसन्न होते है।माता गौरी को सुहागने सोलह श्रृंगार का सामान चढ़ाए और उनसे अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करे।भगवान को भोग लगाएं।उसके बाद वो प्रसाद सबको दे।
ये भी पढ़ें
- Jyotish shastra: राहु का विवाह और संबंधों पर पड़ता है गहरा असर
- Marriage Remedies: गुण मिलने के बाद भी टूटते है विवाह, जाने कारण
- Name Astrology: पिता की किस्मत चमकाने वाली मानी जाती है नाम की लड़कियां, होती है भाग्यवान।
- Mahashivratri 2022 Wishes: महाशिवरात्रि के पर्व पर अपने प्रियजनों को भेजें यें शुभकामनाएं।
- UP Election 2022 : उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 ज्योतिषीय विश्लेषण और भविष्यवाणियां
- दैनिक राशिफल, 22 नवंबर 2021: दैनिक राशिफल से जानिए किन चीजों से रहना होगा आज आपको सचेत और कैसा रहेगा आपक दिन