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Home ›   Blogs Hindi ›   Mahesh Navami 2023: When and why the festival of Mahesh Navami is celebrated, know through this article.

Mahesh Navami 2023: कब और क्यों मनाया जाता है महेश नवमी का पर्व, जानें इस लेख के द्वारा।

my jyotish expert Updated 30 May 2023 02:37 PM IST
Mahesh Navami 2023: कब और क्यों मनाया जाता है महेश नवमी का पर्व, जानें इस लेख के द्वारा।
Mahesh Navami 2023: कब और क्यों मनाया जाता है महेश नवमी का पर्व, जानें इस लेख के द्वारा। - फोटो : google
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सनातन परंपरा में ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष में पड़ने वाली नवमी को महेश नवमी पर्व के रूप में जाना जाता है. भगवान शिव के नाम से जुड़े इस पर्व का संबंध महेश्वरी समाज से जुड़ा हुआ है. 

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हिंदू मान्यता कि अनुसार महेश नवमी के दिन ही देवों के देव महादेव के आशीर्वाद से महेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी. यही कारण है कि इस पावन पर्व को महेश्वरी समाज बड़ी धूम-धाम से मनाता है और महेश नवमी के दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है. 

महेश नवमी का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार महेश नवमी हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल की नवमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल यह पावन तिथि 28 मई 2023, रविवार को सुबह 09:56 से प्रारंभ होकर 29 मई 2023, सोमवार की सुबह 11:49 बजे तक रहेगा. 

ऐसे में उदया तिथि के अनुसार महेश नवमी का पर्व 29 मई 2023 को मनाया जाएगा. चूंकि इस साल यह पर्व भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित सोमवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसकी शुभता और धार्मिक महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है.

महेश नवमी की पूजा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार यदि कोई व्यक्ति महेश नवमी वाले दिन पूरे विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा करता है या फिर किसी शिव धाम पर जाकर दर्शन करता है तो उसके जीवन से जुड़े सभी दुख दूर और मनोकामनाएं पूरी होती हैं. 

महेश नवमी के दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. मान्यता है कि श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव का पावन अभिषेक करने पर साधक की सभी मनोकामनाएं शीघ्र ही पूरी होती हैं.

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महेश नवमी की पूजा विधि
महेश नवमी वाले दिन भगवान शिव से मनचाहा आशीर्वाद पाने के लिए साधक को सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और स्नान-ध्यान करने के बाद भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की फल, फूल, धूप, दीप, दूध, दही, अक्षत, भांग, बेलपत्र, शमीपत्र, भांग, भस्म आदि को अर्पित करके शिव महिम्न स्तोत्र, रुद्राष्टकं अथवा शिव चालीसा का पाठ करना चाहिए. महेश नवमी पर शिव के मंत्रों का जप करना भी अत्यंत शुभ और फलदायी माना गया है.
 
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