क्या है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में अंतर
इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 1 मार्च को पड़ रहा है। क्या आप जानते है शिवरात्रि और महाशिवरात्रि में क्या अंतर है यदि नही तो आपके लिये ये लेख जरूरी है। अपने धर्म के व्रत और त्याहारों की जानकारी होना आवश्यक है। इसलिये आप इस लेख को ध्यान से जरूर पढ़ें।
शिव भक्तों के लिये जिस प्रकार सावन का महीना विशेष महत्व रखता है उसी प्रकार महाशिवरात्रि का भी अलग महत्व है। महाशिवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़ी ही धूमधाम और हर्षउल्लास के साथ मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था और इसी दिन को महाशिवरात्रि के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
Mahashivratri Katha: महशिवरात्रि से जुड़ी एक अनसुनी पौराणिक कथा।
वैसे तो शिव पूजा के लिये हर दिन शुभ है लेकिन सोमवार, सावन, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के दिन का अलग ही महत्व होता है।
हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन शिवरात्रि आती है इस प्रकार पूरे वर्ष में बारह शिवरात्रि आती है लेकिन महाशिवरात्रि वर्ष में एक ही बार आती है जिस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था उस दिन को महाशिवरात्रि के पर्व के रूप में मनाते है।
इस दिन शिव भक्त भगवान शिव की उपासना करते है माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करते है। कई भक्त इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करते है तो कुछ भक्त जागरण और कीर्तन करवाते है। इस दिन सभी शिव भक्त अपनी अपनी भक्ति से भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते है। आपको बता दें कुछ भक्त ऐसे भी होते है जो कावड़ लेने जाते है और फिर कावड़ के जल से महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का अभिषेक करते है। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव भक्तों की भक्ति के नज़ारे और मंदिरों की साज सजावट देखते ही बनती है।
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महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था, इसलिए यह दिन बेहद खास होता है और शिवजी को यह दिन बहुत प्रिय है। माता पार्वती की कठोर तपस्या के बाद शिवजी ने उनको पत्नी रूप में स्वीकार किया था और इस शुभ दिन पर विवाह किया था। इसलिए रात में कई जगह शिव बारात भी निकाली जाती है लेकिन ज्यादातर लोग केवल महाशिवरात्रि को इसी वजह से जानते हैं लेकिन इस पवित्र से दिन से कई कथाएं जुड़ी हुई हैं, जो दर्शाती हैं कि आखिर महाशिवरात्रि का पर्व महत्वपूर्ण क्यों है।
महाशिवरात्रि का पर्व अपने आप में एक बहुत बड़ा पर्व है आपको बता दे शिवरात्रि का दिन आत्म बोध के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन माना जाता है। इस दिन अपना बोध किया जाता है कि हम सब शिव के अंश है और उनके संरक्षण में है।
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