इस व्रत में हाथी पर बैठी हुई देवी लक्ष्मी की पूजा करने की परंपरा है. इस व्रत को करने से जीवन में सौभाग्य बना रहता है. शत्रुओं से रक्षा का कवच प्राप्त होता है. इन दिनों कुछ विशेष उपाय करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. धर्म ग्रंथों के अनुसार हाथी पर विराजमान देवी लक्ष्मी अत्यंत शुभ फल प्रदान करती हैं. देवी के इस रूप को गजलक्ष्मी कहा जाता है. गज को धर्म में शुभता का प्रतिक माना गया है.
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आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को देवी लक्ष्मी के इस स्वरूप की पूजा करने की परंपरा है. इसे महालक्ष्मी व्रत कहा जाता है. इस बार यह तिथि 06 अक्टूबर को है. शास्त्रों के अनुसार अगर इस दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो मां लक्ष्मी की कृपा से धन लाभ होने की संभावना रहती है.
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महालक्ष्मी व्रत उपाय एवं पूजा लाभ
महालक्ष्मी व्रत का समय देवी लक्ष्मी पूजन के साथ साथ पितरों के पूजन का भी होता है. यह समय शुद्ध एवं शुचिता को दर्शाता है. इन दिनों में प्रात:काल समय स्नान करने के बाद पितरों को नमस्कार करना चाहिए उसके बाद सूर्य उपासना के साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा आरंभ करनी चाहिए.
देवी लक्ष्मी की स्तूति के लिए श्री सूक्त का पाठ करना बहुत ही शुभ माना गया. माना जाता है कि देवराज इंद्र ने भी देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त का पाठ किया था. वेदों में भी इस का वर्णन प्राप्त होता है. लक्ष्मी पूजन में देवी को लाल रंग के पुष्प भी अवश्य भेंट करने चाहिए. ब्राह्मण को इस समय भोजन इत्यादि कराना बहुत ही शुभ माना जाता है. ऎसा करने से अनुकूल फलों की प्राप्ति होती है.
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देवी को नियमित अर्पित करें केसर
महालक्ष्मी व्रत के दिन गाय के दूध में केसर मिलाकर मां लक्ष्मी का अर्पित करना बहुत शुभ होता है. वहीं केसर निर्मित भोग एवं केसर का तिलक करने से भक्त को ज्ञान समृद्धि की प्राप्ति होती है.