सोलह दिनों का महालक्ष्मी व्रत होगा संपन्न जरूर पढ़ें यह कथा, घर में होगा मां लक्ष्मी का वास
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सोलह दिनों का महालक्ष्मी व्रत होगा संपन्न जरूर पढ़ें यह कथा, घर में होगा मां लक्ष्मी का वास
महालक्ष्मी व्रत जो 3 सिंतबर को आरंभ हुआ था और सोलह दिनों के बाद आज इसकी समाप्ति हो रही है. भादो माह की अष्टमी से यह व्रत आरंभ होता है और धन की देवी लक्ष्मी जी के पूजन द्वारा इन दिनों में आर्थिक रुप से आ रही सभी परेशानियों का समापन भी होता है. आज इस महलक्ष्मी व्रत की समाप्ति होगी. मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद इस व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए जिससे व्रत का संपूर्ण लाभ मिलता है.
महालक्ष्मी व्रत मान्यता
धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए यह व्रत 16 दिनों तक किया जाता है, जिसके बाद इसका पारण कर लेने के बाद आर्थिक स्थिति उत्तम होती है. घर में धन धान्य की पूर्ति बनी रहती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति सोलह दिनों तक इस व्रत को करता है, उसे देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा अवश्य प्राप्त होती है. जीवन में किसी भी प्रकार की तंगी से बचने के लिए इस व्रत का पालन जरूर करना चाहिए. अगर पूरे सोलह दिनों तक व्रत नहीं रख पाते हैं तो पहले 3 या आखिरी 3 व्रत रखने से भी मां लक्ष्मी की कृपा मिलती है.
महालक्ष्मी व्रत पूजा समय
महालक्ष्मी व्रत 17 सितंबर 2022 को समाप्त होगा, क्योंकि अष्टमी का समय दो दिन रहेगा इसलिए चंद्र व्यापिनी होने के कारण व्रत समाप्ति 17 को संपन्न होगी. शास्त्रों में महालक्ष्मी व्रत को सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला बताया गया है। इस व्रत के प्रभाव से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. शाम के समय देवी लक्ष्मी की पूजा बहुत फलदायी मानी जाती है. मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने के बाद इस व्रत की कथा अवश्य पढ़नी चाहिए अन्यथा व्रत का लाभ नहीं मिलेगा. आइए जानते हैं महालक्ष्मी व्रत की कथा.
महालक्ष्मी व्रत कथा
महालक्ष्मी व्रत के साथ कथाएं भी जुड़ी हुई हैं जो इस व्रत की शुभता एवं महत्ता को दर्शाती हैं. पौराणिक कथा के अनुसार एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था, वह भगवान विष्णु का बहुत भक्त था. सभी प्रकार से उनका पूजन किया करता था. एक बार भगवान विष्णु उनके सामने प्रकट हुए, और भक्ति से प्रसन्न होकर उसे वर देने को तत्पर होते हैं. तब ब्राह्मण ने माता लक्ष्मी को अपने घर में निवास करने की इच्छा व्यक्त की, तब श्रीहरि ने उन्हें देवी लक्ष्मी को प्राप्त करने का उपाय बताया जिसमें व्रत की महिमा का वर्णन किया. ब्राह्मण ने 16 दिनों तक उपवास करने और सोलहवें दिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत संपन्न किया जिससे लक्ष्मी जी की उसे प्राप्ति हुई और उसकी सभी मनोकामना होती है.