क्या है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक विशेषता
कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव और विष्णु में सर्वोपरि होने को लेकर बहस होने लगी थी, तब शिव यहां प्रकाशरूप में अवतरित हुए थे । यहां पर शव के दाह संस्कार के बाद उसकी राख से भस्मारती की जाती है । एक कथा के अनुसार जब – जब दूषण नाम का असुर उज्जैन के लोगों को परेशान करता था तो भगवान शिव लोगों की रक्षा के लिए धरती पर प्रकट होते थे , असुर की मृत्यु के बाद जब वहां के लोगों ने शिव को सदैव के लिए उनके पास रह जाने को कहा तब ज्योतिर्लिंग के स्वरूप में शिव यहां प्रकट हुए । यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है । कहा जाता है कि जैसे आकाश मे तारक लिंग, पाताल मे हाटकेश्वर लिंग और धरती पर महाकालेश्वर से बढ़कर अन्य कोई ज्योतिर्लिंग नहीं है ।
क्यों होती है महाकालेश्वर की पूजा
महाकालेश्वर मे शिव की पूजा से सारे संकट दूर होते हैं, यहां पूजा करने से आयु बढ़ती है व उससे जुड़े कष्ट भी दूर हो जाते हैं । मंदिर के निकट स्थित जल कुंड मे स्नान करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं । मानसिक व शारिरिक रूप से लाभ होते हैं, जीवन मे खुशहाली आती है । भगवान शिव की कृपा होने से अकाल मृत्यु का भय भी नहीं रहता । परिवार मे सभी लोगों की सेहत अच्छी रहती है और साथ ही साथ घर में सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है ।
शिवरात्रि के दिन महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा का क्या है महत्व
महाकाल बहुत उदार हैं वह भक्तों को सरलता से ही मनचाहा फल प्रदान करते हैं । वह जिससे प्रसन्न हो जाते हैं उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करते हैं । शिव की साधना बहुत सरल है । महाकालेश्वर में शिवरात्रि के दिन पूजा करने से गृहस्थ जीवन मे खुशियों का आगमन होता है । परिवार में हो रहे आपसी कलह से मुक्ति मिलती है व पितृ और तांत्रिक दोष से भी दूरी बनी रहती है । यहां पूजा करने से भगवान शिव, भक्तों को धन – धान्य से परिपूर्ण रखते हैं ।
अपना मन चाहा फल प्राप्त करने के लिए इस महाशिवरात्रि कराए महाकालेश्वर का रुद्राभिषेक ।