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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा से दूर होते हैं सभी कष्टMagh Purnima auspicious time माघ पूर्णिमा के दिन घर की सुख-शांति के लिए नारायण पूजन बहुत शुभ लाभ दिलाता है. समृद्धि एवं वैभव हेतु भगवान सत्यनारायण की पूजा बेहद ही शुभ होगी.
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Magh Purnima 2024: माघ पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा से दूर होते हैं सभी कष्ट
Magh Purnima auspicious time माघ पूर्णिमा के दिन घर की सुख-शांति के लिए नारायण पूजन बहुत शुभ लाभ दिलाता है. समृद्धि एवं वैभव हेतु भगवान सत्यनारायण की पूजा बेहद ही शुभ होगी.
Magh Satyanarayan Katha: सत्यनारायण कथा का पाठ करने से सभी प्रकार के कष्ट एवं अवरोध दूर हो जाते हैं.
पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की कथा करना एवं पूजा करना बहुत सकारात्मक प्रभाव देने वाला होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस समय पर ऐसा माना जाता है कि भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने या सुनने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति प्राप्त होती है. इस कथा द्वारा मन को शांति मिलती है. भक्ति विश्वास की इस धारा में भक्त जीवन में शुभता को पाता है. श्रद्धा की भावना सभी को जागृत कर देने वाली होती है. आइये जान लेते हैं पूर्णिमा समय इस कथा का महत्व ओर प्रभाव
माघ पूर्णिमा के पर श्री हरि पूजन महत्व
माघ पूर्णिमा का समय श्री हरि पूजन के साथ साथ भगवान सत्यनारायण कथा के पाठ करने हेतु उत्तम होता है. इस दिन को जीवन में शुभता वें समृद्धि का सुचक भी माना गया है. इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा के साथ साथ चंद्रमा का पूजन किया जाता है. सुख-शांति के लिए भगवान सत्यनारायण की कथा विशेष शुभ प्रदान करती है. पूर्णिमा का समय भगवान हरि का पूजन करते हैं. इस दिन पर भगवान का पूजन भक्ति भाव के साथ होता है तथा इस समय पर स्नान दान करना पुण्य फलों को प्रदान करने वाला होता है. हिंदू धर्म में प्राचीन काल से ही लोग पूर्णिमा के दिन पूजा के साथ साथ व्रत रखते हैं.भगवान श्री हरि हैं सत्यनारायण का स्वरुप
हिन्दू धर्म के अनुसार सत्य ही प्रभु है और नारायण ही परम पूजनीय श्री हरि हैं. भगवान श्री विष्णु के रुप को ही स्त्यनारायण रुप में पूजा जाता है. इस दिन कथा के साथ साथ सत्यनारायण जी की आरती भी होती है. इस आरती के द्वारा ही संपूर्ण पूजा को पूर्ण माना जाता है. स्कंद पुराण के अनुसार सत्यनारायण भगवान विष्णु का ही स्वरूप हैं. इसी कारण पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण कथा का पाठ एवं आरती करने से भक्तों को समस्त सुखों का वरदान मिलता है.सत्यनारायण कथा आरती
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।सत्यनारायण स्वामी जन पातक हरणा॥
ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
रत्न जडि़त सिंहासन अद्भुत छवि राजै। ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
नारद करत निराजन घंटा ध्वनि बाजै॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
प्रकट भये कलि कारण द्विज को दर्श दियो।ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
बूढ़ा ब्राह्मण बनकर कांचन महल कियो॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
दुर्बल भील कठारो, जिन पर कृपा करी।ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
चन्द्रचूड़ एक राजा तिनकी विपत्ति हरी॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दीन्हों। ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
सो फल भोग्यो प्रभु जी फिर-स्तुति कीन्हीं॥ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
भाव भक्ति के कारण छिन-छिन रूप धरयो। ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
श्रद्धा धारण कीनी, तिनको काज सरयो॥ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी। ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
मनवांछित फल दीन्हों दीनदयाल हरी॥ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल, मेवा। ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
धूप दीप तुलसी से राजी सत्य देवा॥ ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।
श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावै।
भगतदास तन-मन सुख सम्पत्ति मनवांछित फल पावै॥
ओम जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।।