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माघी पूर्णिमा पर किए गए दान का बत्तीस गुना फल प्राप्त होता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है।
धर्म शास्त्रों में पूर्णिमा तिथि को विशेष फलदाई माना गया है। सभी पूर्णिमाओं में माघी पूर्णिमा का महत्व कहीं अधिक है।
माघी पूर्णिमा पर स्नान
आज के पवित्र दिन मन,कर्म वचन से पवित्र हो कर पवित्र स्नान कर पर्व की शुरुवात करनी चाहिए । माघी पूर्णिमा पर प्रयाग गंगा संगम पर स्नान करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है
अगर नदी तक ना जा सके तो घर पर ही गंगा जल और तिल मिश्ररित जल से स्नान करने से भी पुण्य प्राप्त होता है ।
माघी पूर्णिमा पर माँ लक्ष्मी व भगवान विष्णु का पूजन करें
माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ये विशेष तिथि मानी गई है। इस पूर्णिमा की रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी की भगवान विष्णु सहित पूजा करें एवं रात को ही घर के मुख्य दरवाजे पर घी का दीपक लगाएं। इस उपाय से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर उस घर में निवास करती हैं।साथ ही भगवान सत्यनारायण की पूजा कर, धूप दीप नैवेद्य अर्पण करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें से भी पुण्य कर्म संचित होते हैं और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती हैं।
माँ सरस्वती का पूजन
माघी पूर्णिमा की सुबह पूरे विधि-विधान से माता सरस्वती की भी पूजा की जाती है। इस दिन माता सरस्वती को सफेद फूल चढ़ाएं व खीर का भोग लगाएं। विद्या, बुद्धि देने वाली देवी प्रसन्न होकर कुशाग्र बुद्धि और कार्य करने की लगन में वृद्धि का वरदान देती हैं।
पितरो का आशीर्वाद
इस दिन पितरों के निमित्त जलदान, अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र एवं भोजन पदार्थ दान करने से उन्हें तृप्ति मिलती हैं ।और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
माघी पूर्णिमा पर दान की महत्वता
माघी पूर्णिमा पर दान का भी विशेष महत्व है। इस दिन जरूरतमंदों को तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, फल, अन्न आदि का दान करना चाहिए। संयम से रहना, सुबह स्नान करना एवं व्रत, दान करना हर तरफ से लाभ दायक होता है। क्युकी इस समय शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए इस समय व्रत करने से शरीर रोगग्रस्त नहीं होता एवं आगे आने वाले समय के लिए सकारात्मकता प्राप्त कर पाता है।