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Magha month Kalashtami : जानें 2024 में कब मनाई जाएगी माघ माह की कालाष्टमी

Acharya Rajrani Sharma Updated 31 Jan 2024 11:37 AM IST
Kalashtami
Kalashtami - फोटो : my jyotish

खास बातें

Magha month Kalashtami : जानें 2024 में कब मनाई जाएगी माघ माह की कालाष्टमी 

Magh month Kalashtami date: माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का पूजन होगा. इस वर्ष 2 फरवरी 2024, शुक्रवार के दिन कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. 
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Magha month Kalashtami : जानें 2024 में कब मनाई जाएगी माघ माह की कालाष्टमी 


Magh month Kalashtami date: माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन कालाष्टमी का पूजन होगा. इस वर्ष 2 फरवरी 2024, शुक्रवार के दिन कालाष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. माघ माह में आने वाली कालाष्टमी के दिन की जाने वाली कालभैरव जी की पूजा मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है.

Magh month Kalashtami puja कालाष्टमी के दिन काल भैरव का पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान शिव के रौद्र रुप कालभैरव स्वरुप का पूजन करके भक्त जीवन में समस्त प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाने में सफल होते हैं. 

माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से भय नजदीक नहीं आता है. कालभैरव अष्टमी पर लोग व्रत भी रखते हैं. तंत्र साधना में काल भैरव की पूजा रौद्र रूप में की जाती है. इस समय कालभैरव अधिक फलदायी माने जाते हैं क्योंकि इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं.

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माघ माह की कालाष्टमी पूजा महत्व Magh Kalashtami Puja importance

भगवान शिव के कई रूप और अवतार हैं, जिनमें से एक हैं भगवान कालभैरव. यह शिव का रौद्र अवतार है. इस वर्ष माघ माह में आने वाली कालाष्टमी का पूजन 2 फरवरी के दिन संपन्न होगा. माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी का प्रारम्भ 2 फरवरी को शाम 04:02 से होगा और इसकी समाप्ति 3 फरवरी को शाम 05:20 पर होगी. ऐसा माना जाता है कि जो लोग कालाष्टमी का पूजन करते हैं उनके जीवन में तुरंत सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. इसके अलावा शास्त्रों में कालाष्टमी के दिन कालभैरव अष्टक का पाठ बहुत फलदायी माना गया है. इस पाठ को करने से सभी प्रकार की नकारात्मकता दूर हो जाती है. 
 

कालभैरव पूजा लाभ 

कालभैरव अष्टमी के दिन ही भगवान कालभैरव पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. यह देवता विनाश से सम्बंधित है. कालभैरव के भक्तों द्वारा इनकी पूजा की जाती है. भगवान काल भैरव के भक्त उन्हें अपना रक्षक मानते हैं. यह भी माना जाता है कि काल भैरव की पूजा करने से भय नजदीक नहीं आता है. कालभैरव अष्टमी पर लोग व्रत भी रखते हैं. तंत्र साधना में काल भैरव की पूजा रौद्र रूप में की जाती है. इस समय कालभैरव अधिक फलदायी माने जाते हैं क्योंकि इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं.

काल भैरव शिव के उग्र अवतार हैं. ऐसा माना जाता है कि जो लोग रोजाना शिव के इस रूप की पूजा करते हैं उनके जीवन में तुरंत सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं. इसके अलावा शास्त्रों में कालभैरव अष्टक का पाठ बहुत फलदायी माना गया है. ऐसे में हर किसी को यह अद्भुत पाठ अवश्य पढ़ना चाहिए जो इस प्रकार है: महादेव के कई रूप और अवतार हैं. कालभैरव अष्टक का पाठ करने से जीवन की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं.


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काल भैरव अष्टक Kaal Bhairav Ashtakam 


||काल भैरव अष्टक || 

.श्री गणेशाय नमः.
श्री स्वामी सामर्थाय नमः .

देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम् .
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ १॥

भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम् .
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ २॥

शूलटंकपाशदण्डपाणिमादिकारणं श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम् .
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ३॥

भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम् .
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥ ४॥

धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशनं कर्मपाशमोचकं सुशर्मधायकं विभुम् .
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभितांगमण्डलं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ५॥

रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम् .
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ६॥

अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं दृष्टिपात्तनष्टपापजालमुग्रशासनम् .
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ७॥

भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम् .
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे ॥ ८॥

॥ फल श्रुति॥

कालभैरवाष्टकं पठंति ये मनोहरं ज्ञानमुक्तिसाधनं विचित्रपुण्यवर्धनम् .
शोकमोहदैन्यलोभकोपतापनाशनं प्रयान्ति कालभैरवांघ्रिसन्निधिं नरा ध्रुवम् ॥

॥इति कालभैरवाष्टकम् संपूर्णम् ॥
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