आज हम बात करेगें 52 शक्तिपीठों में से प्रमुख कामाख्या देवी के बारें में जिनकी महिमा बड़ी निराली है, जिसके पीठ से कोई नहीं जाता खाली हैं ∣ आपको बता दे कि असम के गुवाहाटी से दो मिल दूर पश्चिम में नीलगिरि पर्वत पर स्थित सिद्धि पीठ को कामाख्या मंदिर के नाम से जाना जाता है ∣ जिसका वर्णन कलिका पुराण में भी हमें मिलता है ∣ आपको बता दे कि कामाख्या सबसे पुराना शक्ति पीठ में से एक है ∣ऐसी मान्यता है कि माता सती के योनि का भाग कामाख्या नामक स्थान पर गिरा था। इसके बाद ही इस स्थान पर देवी के पावन मंदिर को स्थापित किया गया। कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ है। इस मंदिर में तांत्रिक अपनी सिद्धियों को सिद्ध करने आते हैं।
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कैसे हुआ कामाख्या शक्तिपीठ का निर्माण:
जब माता सती ने अपने पिता के द्वारा शिव के अपमान को न सहन करने के कारण अपनी देह को अग्नि कुण्ड में समहित कर दिया था, जिस कारण भगवान शिव को इतना क्रोध आया था। कि उन्हें माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर तांडव किया था। जिससे संसार में प्रलय की सम्भावना उत्पन्न हो गयी थी तब भगवान विष्णु ने अपने तब संसार को प्रलय से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को कई हिस्सों में काट दिया, जिस जगह भी ये टुकड़े गिरे, वे स्थान शक्तिपीठ कहलाए। माता सती का योनि भाग कामाख्या स्थान पर गिरा था। इसी वजह से इसको कामाख्या देवी के नाम से जाना जाता है। माता सती के कुल 52 शक्तिपीठ हैं, लेकिन एक शक्तिपीठ पाकिस्तान में स्थित है। भारत में कुल 51 शक्तिपीठ हैं।
कुंड की होती है पूजा:
आपको बता दे कि 51 शक्तिपीठ में से सिर्फ कामाख्या मंदिर को महापीठ का दर्जा हासिल है, किन्तु इस मंदिर में मां दुर्गा और मां जगदंबा का कोई चित्र और मूर्ति नहीं है। भक्त मंदिर में बने एक कुंड पर फूल अर्पित कर पूजा करते हैं। इस कुंड को फूलों से ढककर रखा जाता है क्योंकि कुंड देवी सती की योनि का भाग है, जिसकी पूजा-अर्चना भक्त करते हैं। इस कुंड से हमेशा का पानी का रिसाव होता है। इसी वजह से इसे फूलों से ढककर रखा जाता है।
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आखिर किस कारण हो जाता है नदी का पानी लाल:
मान्यता के मुताबिक ब्रह्म पुत्र नदी का पानी तीन दिन के लिए लाल हो जाता है∣। इसका कारण कामाख्या देवी मां के रजस्वला होने को बताया जाता है। जो कि हर साल अम्बुवाची मेले के समय ही होता है ∣इन तीन दिनों में भक्तों का बड़ा सैलाब इस मंदिर में उमड़ता है। भक्तों को प्रसाद के रूप में लाल रंग का सूती कपड़ा भेंट किया जाता है।
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