Lunar Eclipse
- फोटो : my jyotish
आश्विन मास की पूर्णिमा के दौरान यह ग्रह भारत समेत कई देशों में दिखाई देगा. आश्विन माह में आने वाली आश्विन शरद पूर्णिमा ग्रहण के कारण विशेष होने वाली है. पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का प्रभाव भी पड़ने वाला है. अक्टूबर के अंत में लगने वाला यह चंद्र ग्रहण इस महीने की दूसरी महत्वपूर्ण खगोलीय घटना होगी जिसका गहरा प्रभाव भी पड़ेगा. इसका असर यूरोप और एशिया पर दिखेगा. यह ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, प्रशांत और हिंद महासागर और अंटार्कटिका के विभिन्न स्थानों में दिखाई देता है इस बार चंद्र ग्रहण का असर 28 अक्टूबर को दिखाई देने वाला है. इससे ठीक पहले सूर्य ग्रह भी दिखाई दिया था और अब एक बार फिर थोड़े अंतराल में चंद्र ग्रहण लगेगा.
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साल के अंत में एक विशेष खगोलीय घटना
इस साल अक्टूबर में पूर्णिमा के समय रात में चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. धर्म और विज्ञान दोनों में इसका विशेष स्थान है. चंद्र ग्रहण का असर भारत के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा. यहां एक अलग ही नजारा देखने को मिलता है. इस ग्रहण का समय 1 घंटा 19 मिनट माना गया है. चंद्र ग्रहण को बेहद खास और खूबसूरत खगोलीय घटना भी माना जाता है. यह दूसरा ग्रहण होगा, जिसका असर न सिर्फ खगोलीय रूप में बल्कि धर्म के लिए भी खास है.
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण किस राशि और नक्षत्र पर पड़ेगा?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण 28 और 29 अक्टूबर को भारतीय समयानुसार रात 01:05 बजे शुरू होगा और इसका मोक्ष काल भारतीय समयानुसार रात 02:24 बजे समाप्त होगा. 28 अक्टूबर शनिवार को दोपहर से सूतक काल शुरू हो जाएगा. अब इस बार चंद्र ग्रहण मेष राशि पर पड़ेगा और इसका असर अश्विनी नक्षत्र पर पड़ेगा.
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ग्रहण का देश विदेश पर प्रभाव
चंद्र ग्रहण भारत के साथ ही अन्य देशों में भी दिखाई देने वाला है. ग्रहण को आप 28/29 अक्टूबर की आधी रात को देख पाएंगे. देश की राजधानी दिल्ली के अलावा यह बेंगलुरु, मुम्बई, मथुरा, उदयपुर, आगरा, जयपुर, लखनऊ, मदुरै, चेन्नई, अजमेर, कोलकाता, लुधियाना, चंडीगढ़, जम्मू, शिमला, पटना, वाराणसी, प्रयागराज, उज्जैन, हरिद्वार, द्वारका, हिसार, बरेली, कानपुर, अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु, भुवनेश्वर समेत कई शहरों में दिखाई देगा. इसके अलावा यह ग्रहण अन्य देशों और स्थानों पर भी दिखाई देगा. यह चंद्रग्रहण यूरोप के साथ-साथ एशिया क्षेत्रों में भी देखा जाएगा. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, हिंद महासागर और आर्कटिक में स्थानों पर देखा जा सकेगा.