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रिलेशनशिप पर असर डालने वाले कारक
रिलेशनशिप पर खराब असर डने वाले ग्रहों में राहु, केतु, शनि और खरब मंगल का महत्वपूर्ण रोल होता है. इन ग्रहों के असर से ही विवाह प्रेम जैसे संबंध कमजोर सिद्ध होने लगते हैं. इसी प्रकार शुभ ग्रहों के साथ पाप ग्रहों का योग अगर बन रहा हो तो इस स्थिति के कारण रिश्ते में संदेह की स्थिति पैदा होने लगती है. इसी प्रकार के कई अन्य फैक्टर भी इसमें काम करते हैं. तो चलिए जानते हैं इनमें से कुछ के बारे में : -
व्यक्ति के गुणों का मिलान करना बहुत जरूरी होता है. रिलेशनशिप को मजबूत बनाने में ये बहुत सहायक बनते हैं. यदि इस गुण मिलान में दोष हो तो लड़ाई-झगड़े अधिक होते रहते हैं. उदाहरण के लिए गण दोष, भकूट दोष, नाडी दोष जैसे दोष होने पर रिश्ते के बाद अशांति होने की संभावना अधिक देखने को मिल सकती है. इसलिए दो लोगों के गुणों को समझने के लिए ही कुंडली मिलान को इतना विशेष माना गया है.
इसके अलावा कुंडली में मंगल दोष हो तो इस स्थिति में भी व्यक्ति के भीतर के जोश को वहीं संभल सकता है जो खुद इस के प्रभाव से युक्त हो. लिहाजा रिश्ते में दोनों लोगों के बीच लड़ाई-झगड़े इस के अनुकूल न होने के कारण बढ़ सकते हैं. इसलिए मंगली व्यक्ति के साथ मंगली व्यक्ति का होना ही उचित माना गया है.मंगल व्यक्ति को क्रोधी और जिद्दी बनाता है जिसके कारण वाद-विवाद अधिक होते हैं.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
पंचम भाव में मौजूद खराब ग्रह या खराब योग व्यक्ति को प्रेम संबंधों का सुख नहीं लेने देता है. इसके कारण ही लिव इन रिलेशनशिप जैसे काम तो होते हैं लेकिन यह रिश्ता बीच में टूटने का कारण भी बनता है. तो जब पंचम भाव जिसे प्यार का भाव कहा जाता है वहां शनि, केतु, राहु जैसे पाप ग्रहों के होने से व्यक्ति के अपने साथी से संबंध खराब रहते हैं. साथ ही यदि कुंडली के सप्तम भाव में शनि या राहु ग्रह नीच के हों तो भी जातक का साथी से मनमुटाव होता है.