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इस दिन से भक्त गंगाजल ग्रहण करते हैं और धार्मिक स्थलों की यात्रा के लिए भी जाते हैं. वहीं, पुरी के जगन्नाथ मंदिर में इस दिन विशेष स्नान एवं अभिषेक का कार्य किया जाता है. इसे देवस्नान एकादशी भी कहते हैं. आषाढ़ मास की एकादशी को जरूरतमंद लोगों को भोजन कराया जाता है. इसके बाद तिल और जल दान करने की परंपरा है. एकादशी पर गंगा सहित अन्य पवित्र नदियों के पूजन का भी विधान है. इस दिन तुलसी, बरगद और पीपल पर जल चढ़ाने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
भगवान विष्णु की पूजा करें
इस दिन भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा करनी चाहिए. एकादशी के दिन स्नान, दान और पुण्य करने का महत्व होता है, लेकिन साथ ही भगवान का अभिषेक करना चाहिए. इससे आयु बढ़ती है और दोष दूर होते हैं. एकादशी को भगवान विष्णु और लक्ष्मीजी की पूजा करने का भी विधान है. इसके लिए शंख में दूध भरकर भगवान का अभिषेक करें और भगवान को पंचामृत से स्नान कराएं. इस तरह भगवान विष्णु की पूजा करने से मनोकामना पूरी होती है.
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तुलसी की पूजा करने से परेशानियां दूर होती हैं
इस दिन तुलसी के पौधे की पूजा करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार तुलसी भगवान को अत्यंत प्रिय है और एकादशी पूजन तुलसी के बिना अधुरा है. भगवान विष्णु का इस में वास होता है इसलिए सुबह जल्दी उठकर पानी में कच्चा दूध मिलाकर तुलसी को चढ़ाएं और घी का दीपक जला कर तुलसी का पूजन करना चाहिए. तुलसी के पौधे के समक्ष बैठ कर विष्णु सहस्त्रनाम एवं ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का पाठ करने से कुंडली के ग्रह दोष भी दूर होते हैं.