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जन्माष्टमी स्पेशल : वृन्दावन बिहारी जी का माखन मिश्री भोग - 06 सितम्बर 2023
भगवान देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे. जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल गोपाल या लड्डू गोपाल रूप की पूजा की जाती है. इस दिन बाल श्रीकृष्ण को झूला झुलाकर झुलाया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा आरती के साथ समाप्त होती है, जो महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की आरती कैसे करें और इसकी विधि क्या है?
भगवान श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की.
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला.
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,
लटन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक.
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग.
मधुर मिरदंग ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.
जन्माष्टमी पर कराएं वृन्दावन के बिहारी जी का सामूहिक महाभिषेक एवं 56 भोग, होंगी समस्त कामनाएं पूर्ण - 06 सितम्बर 2023
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा,
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस.
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू.
हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की.
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आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की.