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Home ›   Blogs Hindi ›   Krishna Janmashtami 2023: After worshiping Shri Krishna on Janmashtami, reciting which Aarti gives the benefit

Krishna Janmashtami 2023: जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की पूजा के बाद कौन सी आरती को पढ़ने से मिलता है व्रत का लाभ

my jyotish expert Updated 06 Sep 2023 10:27 AM IST
Krishna Janmashtami 2023
Krishna Janmashtami 2023 - फोटो : my jyotish
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इस साल सितंबर माह में श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा. कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भक्त अनेकों प्रकार से अपने प्रभु की पूजा करते हैं उन्हें प्रसन्न करने एवं अपनी भक्ति के द्वारा उन्हें संतुष्ट करते हैं. लेकिन इस समय पर कुछ विशेष चीजों को शामिल करके इस दिन का और भी अधिक लाभ हम सभी प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की कौन सी आरती करने से मिल सकता है हमें सुख समृद्धि का आशीर्वाद. कृष्ण जन्माष्टमी का त्यौहार इस साल 6 और 7 सितंबर 2023 के दिन मनाया जाएगा. मान्यता है कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी में रात्रि को भगवान श्रीकृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था. 

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भगवान देवकी और वासुदेव की आठवीं संतान थे. जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के बाल गोपाल या लड्डू गोपाल रूप की पूजा की जाती है. इस दिन बाल श्रीकृष्ण को झूला झुलाकर झुलाया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा आरती के साथ समाप्त होती है, जो महत्वपूर्ण है. आइए जानते हैं कि जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण की आरती कैसे करें और इसकी विधि क्या है?

भगवान श्रीकृष्ण की आरती
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की.

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला,
श्रवण में कुंडल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला.

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली,
लटन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक.

चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं,
गगन सों सुमन रासि बरसै, बजे मुरचंग.

मधुर मिरदंग ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.

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जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा,
स्मरन ते होत मोह भंगा, बसी शिव सीस.

जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की, आरती कुंजबिहारी की.

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू,
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू.

हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की.

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आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की,
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की.
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