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Home ›   Blogs Hindi ›   Kottankulangara Devi Temple: Every year the statue installed in this temple increases by a few inches.

Kottankulangara Devi Temple: हर वर्ष कुछ इंच बढ़ जाती है इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा

Myjyotish Expert Updated 20 Apr 2022 03:30 PM IST
हर वर्ष कुछ इंच बढ़ जाती है इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा
हर वर्ष कुछ इंच बढ़ जाती है इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा - फोटो : google
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हर वर्ष कुछ इंच बढ़ जाती है इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा


भारत में अनेकों ऐसे मंदिर हैं जो अपने अनोखे कारण से प्रसिद्ध। केरल का एक मंदिर अपनी ऐसे ही अजीब मान्यता के कारण प्रसिद्ध हैं। आज हम आपको इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा और मान्यता बताएंगे।

कोट्टनकुलंगरा देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध यह मंदिर केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। इस मंदिर में महिला और किन्नर बड़ी संख्या में आशीर्वाद लेने जाते है तो वहीं पुरुषों का प्रवेश इस मंदिर में वर्जित है। यदि वह देवी का आशीर्वाद चाहते हैं तो उन्हें 16 श्रृंगार कर स्त्री रूप धारण करने के बाद ही मंदिर में प्रवेश मिल सकता है।

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इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा में भी इस बात कर ज़िक्र मिलता है। मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार इस मंदिर में मौजूद देवी की शिला को चरवाहों ने सबसे पहले देखा था लेकिन उन्होंने इस शिला को एक नारियल पर फेंककर मार दिया था। जिसके बाद इस शिला से खून बहने लगा था। यह सब देख चरवाहे घबरा गए थे और उन्होंने इस बारे में सारी बात जाकर गांव वालों को बताई। जब गांव वालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने ज्योतिष के विशेषज्ञों को बुलाया था। ज्योतिष विशेषज्ञों ने गांव वालों को बताया कि इस शिला में स्वयं वन देवी विराजमान हैं और तुरंत इस स्थान पर एक मंदिर का निर्माण कर उसमें इनकी स्थापना करके इनकी पूजा करें। जिसके बाद मंदिर का निर्माण करवाया गया लेकिन जिन चरवाहों को यह शिला मिली थी वह माता की पूजा करने के लिए महिला रूप बनाकर गए थे। इसी के बाद से पुरुषों को इस मंदिर में महिला रूप में पूजा करने की ही इजाज़त है, अन्यथा कोई भी पुरुष इस मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है।

चाम्याविलक्कू पर्व इस मंदिर में आने वाले पुरुषों के लिए खास अहमियत रखता है क्योंकि यही एक ऐसा दिन है जब पुरुष स्त्री रूप धारण कर माता का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन माता के मंदिर में पुरुषों की भीड़ काफी ज्यादा रहती है। यहाँ आने वाले पुरुषों के सजने संवरने के लिए एक अलग से मेकअप रम भी बनाया जाता है। इस मंदिर में आने वाले पुरुषों को मात्र साड़ी, चूड़ी, बिंदी का ही श्रृंगार नहीं करना होता है, उन्हें गहने और गजरा भी पहनना पड़ता है। मान्यता है की जो भी पुरुष महिला रूप में 16 श्रृंगार करके माता का पूजन करता है उसे धन, नौकरी और संपत्ति के साथ साथ अच्छी पत्नी का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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आमतौर पर हर मंदिर के गर्भगृह के ऊपर छत या कलश होता है। परंतु यह राज्य का इकलौता ऐसा मंदिर है जिसके गर्भगृह के ऊपर छत या कलश स्थापित नहीं है। इस मंदिर में देवी की जो मूर्ति स्थापित है वह स्वयं प्रकट हुई थी और यह हर वर्ष कुछ इंच बढ़ती है जो अपने आप में एक अद्भुत बात है। इस मंदिर से जुड़े इन्हीं अनोखे कारणों के चलते यह मंदिर एक अनोखा और प्रसिद्ध मंदिर है।

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