गुरुवार के दिन यदि आप भगवान् बृहस्पति की पूजा अर्चना करते हैं तो आपके भाग्य में जो भी दोष हैं एवं अगर आपके भाग्य में बृहस्पति कमज़ोर हैं तो आपके कष्ट दूर हो सकते हैं। ऐसे जातकों को गुरुवार के दिन बृहस्पति की पूजा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि बृहस्पति से ही भाग्य जागृत होता है। भगवान बृहस्पति की कृपा से ही आपके भाग्य में विवाह योग बनता है और आपके विवाहित जीवन में खुशाहली आती है। भगवान बृहस्पति अपने भक्तों के कष्टों को हरने के साथ साथ उनको लम्बी आयु भी प्रदान करते हैं। इसीलिए गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति का ध्यान लगाना अति आवश्यक है। जिन लोगो की मानसिकता उथली व छिछली है उन्हें गुरुवार के दिन भगवान बृहस्पति का उपवास अवश्य रखना चाहिए।
गुरुवार को भगवान बृहस्पति की पूजा की जाती है। इस पूजा से परिवार में सुख-शांति का आगमन होता है। कुमारी कन्याएं भी जल्द विवाह के लिए भी गुरुवार का व्रत किया करती है। श्रीमद्भागवत के अनुसार एकादशी व पूर्णिमा के अवसर पर भगवान विष्णु की पूजा से मनुष्य की इस लोक में की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। पूर्णिमा तथा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। अटूट दांपत्य व घर-परिवार की सुख शांति के लिए इनकी पूजा अर्चना की जाती है।
वैदिक काल से ही विष्णु सम्पूर्ण विश्व की सर्वोचत्म शक्ति के रूप में माने गए हैं। गुरूवार के दिन इनकी पूजा पूरे विधि -विधान से पूर्ण करनी चाहिए। ऐसा करने से इनकी असीम अनुकम्पा अपने भक्तों पर बरसती है। उस दिन लोग व्रत और उपवास भी रखते हैं। इस दिन सुबह - सुबह लोग स्नान-आदिकर पूजा-पाठ करते हैं। बृहस्पति देव की पूजा पीलें वस्तुओं से की जाती है जैसे की पीला फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी, इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी करनी चाहिए। कथा व पूजन के समय मन, वचन से शुद्ध होकर भगवान विष्णु से मनोकामना पूर्ति हेतु प्रार्थना करनी चाहिए।
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प्राचीन काल से चली आ रही कथाओं के अनुसार एक नगर की रानी को अपने पति के दान पुण्य करने से बहुत दुःख था इसलिए उन्होंने एक विष्णु रुपी ब्राह्मण से यह दान पुण्य समाप्त करने का रास्ता माँगा तभी ब्राह्मण के बताएं उपायों से तीन बृहस्पति वार में ही राजा का सारा धन समाप्त हो गया। उन्होंने बताया था की रानी अगर मांस मदिरा का सेवन करें, बाल धोये, कपड़ें आदि बृहस्पतिवार के दिन धोये तोह इस समस्या का अंत हो जाएगा। परन्तु ये सब करने से उनका सारा धन ही नष्ट हो जाता है इसलिए यह नियमित कार्य गुरूवार के दिन नहीं करने चाहिए।
राजा का सारा धन नष्ट हो जाने के कारण दोनों अन्न जल के लिए तरस जाते हैं। तब रानी अपनी दासी को पास के गांव में अपनी बहन के घर भेजती है और उससे पांच सेर अनाज मांग कर लाने को कहती हैं। रानी की बहन स्वयं रानी के महल पहुँचती हैं और उससे बृहस्पति भगवान के पूजन के बारे में बताती हैं। पूजा के कुछ हफ़्तों में राजा का सारा धन मान-सम्मान वापस लौटने लगता है। भगवान विष्णु की कृपा से राजा और रानी को संतान सुख की भी प्राप्ति होती है इसलिए कहा जाता है की यदि सच्चे मन से भगवान विष्णु की पूजा की जाए तो वह अवश्य ही अपने भक्तों के सभी दुःख हर लेते हैं।
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