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Home ›   Blogs Hindi ›   Karwa Chauth sargi: Auspicious time for Karwa Chauth puja and what is the importance of sargi?

Karwa Chauth sargi : करवा चौथ की पूजा का शुभ मुहूर्त और क्या सरगी का महत्व

my jyotish expert Updated 31 Oct 2023 02:46 PM IST
karwa chauth
karwa chauth - फोटो : my jyotish
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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का समय करक चतुर्थी के रुप में पूजा जाता है. इस दिन करवा चौथ के व्रत का पूजन होता है तथा वैवाहिक जीवन की सुखद भविष्य की कामना हेतु कठोर तप भी किया जाता है. निर्जला रुप में रखा जाने वाला यह व्रत अपने आप में कई तरह की परंपराओं एवं नियमों से बंधा हुआ है. वैसे तो यह दिन विवाहित महिलाओं का दिन है,

लेकिन अविवाहित लड़कियां अपनी पसंद का जीवनसाथी पाने के लिए यह व्रत और पूजा करती हैं.आज के समय में यह करवा चौथ का त्योहार इतना अधिक सभी को प्रभावित करता है कि हम युवा जोड़े के प्रति इसका उत्साह भी देख सकते हैं. आइये जानें कब होगा करवा चौथ की पूजा कथा एवं सरगी का शुभ समय और क्या हैं इस पर्व से जुड़े नियम

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करवा चौथ पूजा मुहूर्त शुभ समय 2023
इस वर्ष करवा चौथ पूजा 1 नवंबर 2023, बुधवार को की जाएगी. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर 2023 को रात्रि 09:30 बजे प्रारंभ होगी और चतुर्थी तिथि 01 नवंबर 2023 को रात्रि 09:19 बजे समाप्त होगी. उदय तिथि के अनुसार करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर को ही रखा जाएगा. करवा चौथ पूजा और कथा का समय शाम 05:36 से 06:54 तक रहेगा. रात में चंद्रमा के उदय होते ही चंद्रमा की पूजा की जाएगी और चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा. चंद्रोदय का समय रात्रि 08:15 बजे होगा. 
 
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सरगी और व्रत से जुड़े नियम
सरगी के बिना करवा चौथ का व्रत अधूरा माना जाता है. सरगी सास द्वारा बहू को दिया गया प्यार होता है. इस सरगी को पाकर ही यह व्रत पूरा होने का सुख प्राप्त होता है. सुबह ब्रह्म मुहूर्त समय पर सरगी का सेवन करना शुभ माना गया हैिसके अलावा सूर्य उदय से पूर्व सरगी को लेना शास्त्र सम्मत माना गया है. इसे लेने के बाद ही व्रत शुरू होता है. सरगी में खाने-पीने की चीजों के साथ-साथ श्रृंगार और अन्य चीजें रखी जाती हैं. 

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सरगी में सुबह तारों की छांव में खाने की चीजें खाई जाती हैं और उसके बाद कुछ भी नहीं खाया पीया जाता. पूरे दिन भूखे प्यासे रहते हुए भगवान के नाम को जपते हुए संध्या समय कथा की जाती है. रात में चंद्र अर्घ्य पूजा करने के बाद व्रत पूरा होता है. इस प्रकार सभी नियमों का पालन करते हुए यह व्रत पूरा होता है तथा सुखी जीवन का वरदान प्राप्त होता है. 
 
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