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कार्तिक मास एक बेहद शुभ समय माना गया है. शास्त्रों में कार्तिक मास के समय पर शुद्ध चित्त मन का पालन करने से व्यक्रि को कर्म शुभता को पाते हैं. आइये जाने किन नियमों का पालन करते हुए कार्तिक मास में पाया जा सकता है इस माह के शुभ फलों को
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कार्तिक माह के नियम और प्रभाव
कार्तिक माह में खान पान में द्विज अनाज पर रोक लग जाती है. इसमें मुख्य रुप से दालों के सेवन को मन अकिया जाता है. उसमें भी कुछ विशेष दालों को इस समय पर न खाने का सुझाव मिलता है. इस माह में उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर को खाना वर्जित माना गया है. वहीं सरसों का उपयोग भी अनुकूल नहीं माना गया है.
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कार्तिक माह में भोजन में गाजर, बैंगन जैसी खाद्य सामग्री के सेवन को मना किया जाता है. इसके साथ ही बासी भोजन को भी मना किया जाता है. बीज वाली खाद्य सामग्री को खाने से मना किया जाता है. इसी प्रकार जिन फलों में बहुत अधिक बीज होते हैं उनसे भी बचना चाहिए.
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कार्तिक माह में करेले का सेवन करना भी अनुकूल नहीं माना जाता है. कार्तिक के महीने में भूलकर भी मांसाहार या नशे का सेवन नही करना चाहिए ऎसा करने से कष्टों में वृद्धि होती है. इस माह के दोरान हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन भी अनुकूल नहीं माना गया है. गलत चीजों का सेवन करने से व्यक्ति के पाप कर्म बढ़ते हैं ओर कठोर दण्ड की प्राप्ति होती है.
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कार्तिक माह के दोरान शीतल चीजों का सेवन भी अनुकूल नहीं माना गया है इसका उपयोग शरीर को कमजोर करता है. स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ता है. कार्तिक माह में आहार को लेकर तथा जीवन शैली की संयम स्थिति को लेकर बहुत से विचार मिलते हैं. यदि इन चीजों का पालन किया जाए तो इसका अच्छा प्रभाव हमें मिल पाना संभव होता है.