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काल भैरव अष्टमी हर माह की कृष्ण अष्टमी को मनाई जाती है और मार्गशीर्ष माह की अष्टमी के दिन कालभैरव जयंती का पर्व संपन्न होता है. इस दिन भगवान भैरव की पूजा करने से सभी भय दूर हो जाते हैं और रोगों से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि इसी दिन बाबा काल भैरव का जन्म हुआ था. इन्हें भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है.
कालभैरव जयंती पर दिल्ली में कराएं पूजन एवं प्रसाद अर्पण, बनेगी बिगड़ी बात -05 दिसंबर 2023
काल भैरव स्वरुप एवं पूजन
काल भैरव रुद्र के अवतार हैं इसलिए रौद्र उनका स्वरुप है किंतु कल्याण करने वाला है. भक्तों के लिए दयालु और शीघ्र प्रसन्न होने वाले भगवान कहा जाता है. इन्हें दंडनायक भी माना जाता है यानी ये बुरे कर्म करने वालों को दंड देते हैं. भगवान काल भैरव के बारे में मान्यता है कि यदि कोई भगवान भैरव के भक्तों को कोई नुकसान पहुंचाता है तो वे उसे दंड देते हैं. जीवन में नकारात्मक चीजों से बचव हेतु भी काल भैरव का पूजन विशेष होता है.
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भयानक दिखने वाला और भय से रक्षा करने वाला काल भैरव का दर्शन मात्र सभी कष्टों को समाप्त कर देता है.काल भैरव जयंती के दिन जो भी व्यक्ति प्रतिदिन भैरव बाबा की पूजा और चालीसा का पाठ करता है उसके घर में नकारात्मक शक्तियां प्रवेश नहीं करतीं. किसी भी प्रकार की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं. शारीरिक कष्ट भी कभी नहीं सताते हैं. इसके साथ ही बाबा भैरवनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सदैव रक्षा करते हैं.
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कालभैरव पूजन से मिलता है ग्रह दोषों से छुटकारा
हर माह आने वाले आलष्टमी व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. इस व्रत में भगवान शिव के काल भैरव स्वरूप की पूजा की जाती है. यह व्रत हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है. कालाष्टमी व्रत करने से शत्रुओं का भय और दुर्भाग्य पूरी तरह दूर हो जाता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. भगवान काल भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है. परिवार में सुख, शांति और स्वास्थ्य रहता है. भगवान काल भैरव की पूजा करने से रोग, दोष और भय से मुक्ति मिलती है.
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