Jyotish Shastra: जानिए कौनसे हैं ये प्रमुख भाव और ग्रह ,जिनके बली होने से चमक जाता है भाग्य
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जब भी किसी कुंडली का अध्ययन किया जाता है तो प्रमुख रूप से 12 भाव और 9 ग्रह का विचार किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि सिर्फ 3 भाव और 2 ग्रह बलवान होने से ही पूरी कुंडली बलवान हो जाती है। जी हां, आज इस लेख में हम आपको उन 3 भाव और 2 ग्रह के बारे में बताने वाले हैं। सबसे पहले आपको 3 भाव के बारे में बताते है।
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प्रथम भाव
यह भाव जातक के शरीर को दर्शाता है। अगर किसी का शरीर बलवान ही नहीं है तो वो कैसे पुरुषार्थ करेगा ? इसलिए अगर इस भाव का स्वामी राजयोग बना रहा हो, उच्च राशि में हो या उच्च के ग्रह के साथ विराजमान हो तो जातक पुरुषार्थ करने वाला होता है। अगर लग्न पर शुभ ग्रह की दृष्टि है तो जातक अपने आप परमार्थी हो जाता है।
पंचम भाव
यह भाव बुद्धि का भाव है। किसी व्यक्ति के पास धन है लेकिन बुद्धि नहीं है तो सीधी सी बात है कि वो धन चोर लूट लेते है जो कि मित्र और स्त्री किसी के भी रूप में आ सकते हैं। इसलिए पंचम भाव का स्वामी बलवान हो, उच्च हो या पंचम भाव में उच्च का ग्रह विराजमान हो तो जातक की बुद्धि प्रखर होगी और वो जीवन में किसी समस्या से नहीं घबराएगा।
नवम भाव
इस भाव से जातक के पिता, धर्म और गुरु का विचार किया जाता है। जीवन में धर्म और गुरु का होना अति आवश्यक है। ये भाव जितना पुष्ट होगा जातक उतना ही धर्म में रत होगा और जो धर्म पर चलता है उसे संसार में कहीं दिक्क्त नहीं आती है। जिस पर गुरु और पिता का आशीर्वाद हो वो जीवन में हर चीज प्राप्त कर लेता है। इसलिए काल पुरुष की कुंडली में इस भाव में गुरु की मूल त्रिकोण राशि होती है।
अब जानिए इन दो ग्रहों के बारे में।
चन्द्रमा
यह ग्रह सबसे तेज चलने वाला है और मन को चलायमान रखने में इसी का हाथ है। कहते है कि 'मन के हारे हार है मन के जीते जीत' यानी कि जिसका मन बलवान है वो पहाड़ में भी रास्ता बना लेगा और यही काम ज्योतिष में चन्द्रमा करता है। जिसका चन्द्रमा पूर्ण बलवान हो, उच्च हो ऐसा जातक जीवन में कभी निराशा के आस पास भी नहीं जाएगा और जीवन को सरल बना देगा।
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
मंगल
यह ग्रह सेनापति है और शरीर में रक्त का कारक है। काल पुरुष की कुंडली में पहली राशि मेष का स्वामी है। जसि व्यक्ति का मंगल पूर्ण बलवान होकर राजयोग बना रहा हो उसे कभी भय नहीं होता। ऐसा व्यक्ति कठिन से भी कठिन समय में धैर्य को धारण करके युद्ध पर विजय प्राप्त करता है। अगर मंगल बलवान हो तो कहते है कि जातक को किसी राजयोग की आवश्यकता नहीं होती वह अपने साहस से जीवन में उच्च पद प्राप्त करता है।