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क्या है ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
अगर आपके जीवन में कई तरह की परेशानियां हैं और वह खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं तो ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना उत्तम उपाय है. इस दिन सत्यनारायण की पूजा और कथा करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं. कथा के बाद सच्चे मन से घी का दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए. ध्यान रहे कि जो प्रसाद पंचामृत भगवान को भोग में चढ़ाया जाना है उसमें तुलसी दल जरूर डालें. फिर ज्यादा से ज्यादा लोगों में प्रसाद बांट दें.
पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान के साथ ही दान का भी काफी महत्व होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गंगा स्नान करने से सभी दुख कट जाते हैं और पापों से भी मुक्ति मिलती है. जीवन में सुख-समृद्धि आने लगती है. इस बार पूर्णिमा शनिवार को पड़ने की वजह से इसका महत्व और भी खास हो गया है. इस दिन शनिदेव की कृपा भी भक्तों पर बरसेगी.
कब शुरू होगी पूर्णिमा
शनिवार, 3 जून को सुबह 11 बजकर 16 मिनट के बाद पूर्णिमा तिथि शुरू हो जाएगी. इस दौरान गंगा स्नान-दान आदि किया जा सकता है. अगर आपको कोई शुभ कार्य करना है तो इसके लिए अभिजीत नक्षत्र सही रहेगा. यह नक्षत्र सुबह 11.29 बजे से शुरू होकर 12.23 बजे तक चलेगा.
पूर्णिमा के दिन अगर माता लक्ष्मी की कृपा पानी है तो पीपल की पूजा जरूर करें. माता लक्ष्मी पीपल के पेड़ पर वास करती हैं. इसीलिए पूर्णिमा के दिन उनकी पूजा करना काफी फलदायी माना जाता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
पूर्णिमा की पूजा से दूर होगा चंद्र दोष
जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष है, उनको जीवन में पेरशानियों के घेर रखा है तो पूर्णिमा का दिन आपके लिए काफी अच्छा है. इस दिन चंद्रदेव की पूजा करने के साथ ही उनसे संबंधित चीजों का दान करना चाहिए.ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमःमंत्र का जाप भी करें, यह उपाय चंद्र दोष को दूर करने के लिए काफी कारगर है.