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Home ›   Blogs Hindi ›   Jivitputrika Vrat: Jitiya Vrat will be celebrated on this auspicious day, know the puja method in detail along

Jivitputrika Vrat  : इस शुभ दिन मनाया जाएगा जितिया व्रत, नियमों के साथ पूजा विधि जानें विस्तार पूर्वक

my jyotish expert Updated 04 Oct 2023 12:51 PM IST
Jivitputrika Vrat
Jivitputrika Vrat - फोटो : my jyotish
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आश्विन माह में आने वाला जीवित्पुत्रिका व्रत संतान के सुख के लिए रखा जाता है. आश्विन पक्ष में कृष्ण पक्ष के दौरान कई प्रमुख व्रत रखे जाते हैं जिसमें से एक  जीवित्पुत्रिका व्रत भी है. इस व्रत को जिउतिया या जितिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है.  ग्रंथों के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि कोांअने वाला यह व्रत बच्चों को सुख देने वाला होता है तथा जिन लोगों को संतान सुख की इच्छा होती है उन्हें इस दिन पूजन द्वारा संतान सुख का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. जीवित्पुत्रिका व्रत विशेष रुप से माताएं रखती हैं तथा इसके अलावा निसंतान दंपति भी इस व्रत को रख सकते हैं. यह व्रत महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस बार यह व्रत शुक्रवार के दिन रखा जाएगा और इसी दिन देवी लक्ष्मी व्रत का समापन भी होगा. आइये जानते हैं व्रत से जुड़े नियम और इसका प्रभाव 
 
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शुभ योगों में मनाया जाएगा जीवित्पुत्रिका व्रत
आश्विन माह में अने वाला यह दिन जीमूतवाहन, जिउतिया और जितिया आदि नामों से भी मनाया जाता है. यह व्रत मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश और बिहार में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. शुभ योगों में निर्मित यह व्रत सुख समृद्धि को प्रदान करता है. मान्यता के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत करने से संतान के कष्ट दूर होते हैं. महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों से उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को जीवनदान दिया था, इसलिए बच्चे की रक्षा की कामना से यह व्रत किया जाता है. मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरूप भगवान श्रीकृष्ण बच्चों की रक्षा करते हैं.

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जीवित्पुत्रिका व्रत नियम 
जीवित्पुत्रिका व्रत रखने वालों को इस दिन के नियमों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. इस शुभ दिन पर प्रात: काल समय जल्दी उठकर स्नान आदि करके व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. पूरे दिन कुछ भी ग्रहण नहीं करते हुए व्रत का पालन किया जाता है. 
 
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संध्या समय पूजा स्थल को गाय के गोबर से लीप कर तैयार किया जाता है और मिट्टी से एक छोटा तालाब भी बनाया जाता है. अगर यह संभव न हो पाए तो चित्र को मंदिर स्थान में स्थापित करके भी यह पूजन किया जा सकता है.अपने वंश की वृद्धि और उन्नति के लिए पूरे दिन व्रत रखते हैं तथा प्रभु की पूजा की जाती है. इस दिन संतान सुख हेतु दान कार्य भी किया जाता है जो शुभ फलदायी होता है.
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