Krishna Janmashtami 2023
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हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है. देश भर में इस पर्व का उत्साह देखते ही बनता है. श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृषभ राशि और बुधवार के दिन हुआ था. इस वर्ष जन्माष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बना है जो सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करता है. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए शुभ कार्यों का फल सफल साबित होता है. इसी के साथ जन्माष्टमी पूजन के लिए कुछ चीजों का होना विशेष होता है. इन चीजों के बिना पूजा अधूरी रह जाती है. आइये जानते हैं पूजा में उपयोग होने वाली विशेष बातें और इनका जीवन पर प्रभाव
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जन्माष्टमी भगवान के जन्म का समय
जन्माष्टमी का उत्सव भक्ति भाव के साथ मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धापूर्वक व्रत रखते हैं और भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते हैं. बाल गोपाल भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से सभी की मनोकामना पूरी होती हैं. इस साल अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर को संध्या 07 बजकर 58 मिनट से हो रही है और समापन अगले दिन 07 सितम्बर को संध्या 07 बजकर 52 मिनट पर होगा. मध्य रात्रि में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. इसलिए जन्माष्टमी 6 सितंबर को मनायी जाएगी. पूजन का शुभ मुहूर्त 09 बजकर 54 मिनट से 11 बजकर 49 मिनट रहने वाला है.
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जन्माष्टमी पूजा मंत्र
जन्माष्टमी पूजा के लिए आप क्रीं कृष्णाय नमः मंत्र का जाप कर सकते हैं. भगवान कृष्ण का आह्वान करने का मंत्र नीचे दिया गया है.
अनादिमाद्य पुरूषोत्तम श्री कृष्णचन्द्र निजभक्तवत्सलम्.
स्वयं त्वसंख्यानदपति परात्परं राधापति त्वं शरणं व्रजाम्यहम्.
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कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि
इस दिन लड्डू गोपाल को पंचामृत अर्पित करना आवश्यक होता है. पूजा में सर्वप्रथम बाल कृष्ण की मूर्ति को एक बर्तन में रखें और उसे शुद्ध जल और दूध, दही, शहद, पंचमेवा और सुगंध युक्त गंगा जल से स्नान कराना चाहिए. फिर पालने में स्थापित करना चाहिए और वस्त्र धारण करने चाहिए. इसके बाद भगवान के विधान के अनुसार आरती करनी चाहिए. भगवान को उन्हें नैवेद्य यानी फलों और मिठाइयों के साथ-साथ अपनी परंपरा के अनुसार धनिया, आटा, चावल या पंच पंजीरी शामिल करनी चाहिए माखन और मिश्री को भोग में अवश्य करना चाहिए. पंचामृत स्नान के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है. श्री कृष्ण की जयंती मनाने के लिए मंदिरों में इस पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है. इसके बाद रात्रि जागरण करते हुए सामूहिक रूप से भगवान की स्तुति की जाती है. जिसका फल भक्तों को पूर्ण रुप से प्राप्त होता है.