Janmashtami 2023 : विदेशों में भी मनाई जाती है जन्माष्टमी जानें भक्ति के विदेशी रंग जन्माष्टमी के सं
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जन्माष्टमी का त्यौहार देश ही नही विदेश में भी भक्ति के साथ मनाया जाता है. विदेशी भूमि पर रहने वाले भारतीय इस पर्व को मनाते हैं इसके साथ ही विदेशी भी इस पर्व के रंगों में खुद को रंगा पाते हैं. भारत में यह पर्व हर जगह ही धार्मिक उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है. देश से बाहर स्थित लोग भक्ति के साथ इस दिन को विशेष रुप से मनाते हैं. देश के उत्तर प्रदेश के मथुरा और वृन्दावन क्षेत्रों में जन्माष्टमी की खास धूम होती है क्योंकि इस स्थानों से सीधा संबंध भगवान श्री कृष्ण का रहा है जैसे काशी शिव की नगरी रही है वैसे ही मथुरा का समस्त क्षेत्र श्री कृष्ण की स्थली के रुप में जाना जाता है. यह स्थल भगवान श्री कृष्ण की जन्म भूमि ओर उनकी लीलाओं का स्थान रहा है. इस के अलावा उत्तर भारत के साथ साथ दक्षिण भारत तक में उत्साह के साथ इस दिन को मनाया जाता है.
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जन्माष्टमी पर मंदिरों को खूबसूरती से सजाया जाता है
विदेशों की बात करें तो अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत कई देशों में यह दिन मनाया जाता देखा जा सकता है. इस उत्सव में विदेशों में रहने वाले भारतीयों के साथ-साथ वहां रहने वाले लोग भी भाग लेते हैं. विदेशों में बने मंदिरों में भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं.
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विदेशों में जन्माष्टमी का त्यौहार
टोरंटो में भी जन्माष्टमी पर काफी उत्साह देखने को मिलता है. यहां यह त्योहार पूरे रीति-रिवाज और परंपराओं के साथ मनाया जाता है. लोग राधा कृष्ण की पूजा करते हैं. इसके अलावा रात भर मंदिरों में भक्तों से भरे कार्यक्रम आदि होते रहते हैं
मलेशिया में भी जन्माष्टमी का विशेष प्रभाव है. यहां मुस्लिम समुदाय होने के बाद भी इसका बहुत महत्व है. यहां बहुत से भारतीय लोग रहते हैं. जिससे यहां कृष्ण भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है. इस त्योहार की रौनक यहां कई दिनों तक देखने को मिलती है.
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सिंगापुर में भी जन्माष्टमी का असर दिख रहा है.कई अलग-अलग समुदायों और संस्कृतियों के लोग रहते हैं, लेकिन जन्माष्टमी का प्रभाव शानदार होता है.जन्माष्टमी पर यहां झांकियां आदि सजाई जाती हैं. मंदिरों में भी कृष्ण का जन्म भव्य तरीके से मनाया जाता है. इसके साथ ही नेपाल, कनाडा जैसे कई देश हैं जहां इस त्योहार को पूरे रीति-रिवाज के साथ मनाते देखे जा सकते हैं.