भगवान विष्णु, श्रीकृष्ण को धरती के वैकुंठ रूप का अवतार माना जाता है. माना जाता है कि पुरी का यह मंदिर काफी पुराना है. इस मंदिर से जुड़ा इतिहास भी काफी हैरान करने वाला है. धार्मिक मान्यता है कि भगवान कृष्ण का हृदय आज भी जगन्नाथ मंदिर की मूर्तियों में धड़कता है. यहां के कण कण में प्रभु का वास माना गया है.
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रथ यात्रा से लेकर ध्वज का आकर्षण
सनातन परंपरा में जगन्नाथ मंदिर को वैष्णव भक्तों का सबसे बड़ा तीर्थ स्थान माना जाता है. इस स्थान पर होनी वाली रथ यात्रा का आयोजन और मंदिर पर शिखर में लहराता ध्वज भक्तों के लिए विशेष मायने रखता है. प्रतिदिन लाखों भक्त इस मंदिर के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. देश-विदेश से तीर्थयात्री भगवान जगन्नाथ मंदिर में अपने प्रभु के दर्शन करने के लिए इस आस्था के धाम में पहुंचते हैं. यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जहां वह जगन्नाथ के रुप में जाने जाते हैं.
भाई ओर बहन के साथ विजमान हैं यहां भगवान
हिंदू धर्म से जुड़े चार प्रमुख तीर्थों में से एक पुरी के इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा भी विराजमान. यहां की मूर्तियां बहुत ही आश्चर्य से भर देने वाली हैं जो अधूरी ही जान पड़ती हैं.
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जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य
जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्यों में कई सारे मत प्रचलित हैं जिसमें से प्रमुख यहां की मूर्तियों का स्वरुप बहुत ही खास माना गया है.
इसके अलावा इस जगन्नाथ पुरी मंदिर में प्रसाद पकाने के लिए एक के ऊपर एक सात बर्तन रखे जाते हैं, जिनमें सबसे ऊपर वाले बर्तन का प्रसाद पहले पकाया जाता है, जबकि नीचे की तरफ से प्रसाद को एक के बाद एक पकाया जाता है जिसे काफी हैरान कर देने वाला वाक्या माना गया है.
मंदिर का ध्वज भी बहुत रहस्यात्मक दिखाई पड़ता है. ऐसा माना जाता है कि दिन के समय मंदिर में हवा का बहाव एक समय अलग होता है जो सुबह और शाम के समय पर अनुभव होता है. इसी के साथ शिखर पर लगा झंडा हमेशा हवा के विपरित दिशा में उड़ता दिखाई देता है