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Uses of Gangajal: गंगा जल का उपयोग कैसे करें, जानें 10 सुझाव और उसके लाभ

Shaily Prakashशैली प्रकाश Updated 01 Jun 2024 11:20 AM IST
गंगाजल के उपयोग के लिए 10 सुझाव
गंगाजल के उपयोग के लिए 10 सुझाव - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Uses of Gangajal: गंगाजल का हिन्दू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसके सही उपयोग से लोगों को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। तो आइए जानते हैं गंगाजल के सही उपयोग के 10 सुझाव।
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Uses of Gangajal: श्रीहरि विष्णु के वामन रूप ने जब धरती से स्वर्ग की ओर अपना एक पैर उठाया तो उनके पैरों की चरण वंदना करके ब्रह्माजी ने विष्णुजी के चरणों को आदर सहित धोया और उस जल को अपने कमंडल में एकत्र कर लिया। महाराज भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने गंगा की धारा को अपने कमंडल से छोड़ा। तब भगवान शंकर ने गंगा की धारा को अपनी जटाओं में समेटकर जटाएं बांध लीं। बाद में भगीरथ की आराधना के बाद उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त कर दिया तब वह उत्तराखंड के गंगोत्री के ऊपर स्थित गोमुख पर आकर विराजमान हो गई और फिर भगीरथ के पीछे-पीछे चलने लगी और गंगा सागर में जाकर विलीन हो गई।

गंगा को पापमोचनी और मोक्षदायिनी नदी कहा जाता है। इसका जल इसलिए खराब नहीं होता क्योंकि इसमें समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश के जल की बूंदे गिरी थी। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसमें जड़ी-बूटियों सहित गंधक, सल्फर, इत्यादि खनिज पदार्थों की सर्वाधिक मात्रा पाई जाती है। नदी के जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु गंगाजल में मौजूद हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं, अर्थात ये ऐसे जीवाणु हैं, जो गंदगी और बीमारी फैलाने वाले जीवाणुओं को नष्ट कर देते हैं। गंगाजल में कोलाई बैक्टीरिया को मारने की क्षमता है। गंगा के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है, जो दूसरी नदियों के मुकाबले कम समय में पानी में मौजूद गंदगी को साफ़ करने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही सब कारण है कि गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और न ही यह सड़ता है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। कई घरों में तो कई सालों से यह जल रखा हुआ है। गंगा जल को हमेशा अपने घर के ईशान कोण यानि पूजा घर में ही रखना चाहिए।
 

गंगा जल के 10 प्रयोग 


1. आचमन: गंगा जल से आचमन करने से हृदय शुद्ध होता है और मस्तिष्क शांत होता है इसलिए पूजा से पहले गंगा जल से आचमन जरूर करें।

2. स्नान: गंगाजल में स्नान करने से 10 तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। गंगा को पापमोचनी नदी कहा जाता है। 3 कायिक, 4 वाचिक और 3 मानसिक पाप नष्ट हो जाते हैं और मन निर्मल एवं पवित्र हो जाता है।

3. ग्रहण: जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है तो ग्रहण समाप्ति के बाद गंगा के जल को घर में छिड़कने से ग्रहण का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

4. पूजा स्थल: किसी भी मांगलिक अवसर पर घर, यज्ञ वेदी़, पूजा स्थान या किसी स्थान को शुद्ध करने के लिए गंगा जल छिड़काव कर उस स्थान को शुद्ध किया जाता है उसके बाद ही मांगलिक कार्य किया जाता है।

5. संकट समाधान: गंगा का जल कभी अशुद्ध नहीं होता और इस जल में ब्रह्मा, विष्णु एवं शिव की शक्ति समाहित है। इसीलिए इस जल को घर में एक तांबे या पीतल के लोटे में भरकर रखा जाता है। इसे घर में रखने से सभी तरह के संकटों का समाधान होकर शुभ ही होता है।

6. अन्य जल की शुद्धि: गंगा का जल किसी अन्य जल में डाल देने से वह जल भी शुद्ध होकर गंगा के समान हो जाता है, क्योंकि गंगा जल में मौजूद बैक्टीरियोफेज नामक जीवाणु दूसरे जल में मिलकर उस जल को भी शुद्ध करके गंगा समान बना देते हैं।

7. मोक्षदायिदी गंगा: कहते हैं कि किसी के प्राण नहीं छूट रहे हैं और वह तड़फ रहा है तो उसके मुंह में थोड़ा-सा गंगा जल डालने से वह शांति से देह छोड़ देता है। इसीलिए इसे मोक्षदायिनी नदी भी कहा गया है।

8. ऑक्सीजन देती गंगा: गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। गंगा के पानी में वातावरण से ऑक्सीजन सोखने की अद्भुत क्षमता है। जहां ऑक्सीजन की कमी लगे तब इस नदी के किनारे रहकर या इसके पानी को पीकर इसे प्राप्त किया जा सकता है। 

9. वास्तु दोष: यदि आपको लगता है कि के घर में वास्तु दोष है तो प्रतिदिन नहीं तो हर सप्ताह शुद्ध जल में गंगा जल मिलाकर पूरे घर में इसका छिड़काव करेंगे तो वास्तु दोष दूर होगा।

10. शरीर शुद्धि: गंगाजल में प्राणवायु की प्रचुरता बनाए रखने की अदभुत क्षमता है। इस कारण इसके पानी से हैजा और पेचिश जैसी बीमारियों का खतरा बहुत ही कम हो जाता है। इस जल को कभी भी किसी भी शुद्ध स्थान से पीया जा सकता है। इसे पीने से कई रोगों के जीवाणु या वायरस नष्ट होने लगते हैं। गंगा का पानी पीने से सभी तरह के रोग मिट जाते हैं। गंगा के पानी में गंधक की प्रचुर मात्रा है और इसी के साथ इसमें खराब जीवाणुओं को नष्ट करने वाला बैक्टीरियोफेज भी होता है, इसलिए यह जल खराब नहीं होता है। इसके अतिरिक्त कुछ भू-रासायनिक क्रियाएं भी गंगाजल में होती रहती हैं। जिससे इसमें कभी कीड़े पैदा नहीं होते। यही कारण है कि इसे पीने से कई तरह के रोग नष्ट हो जाते हैं।

नमो भगवते दशपापहराये गंगाये नारायण्ये रेवत्ये शिवाये दक्षाये अमृताये विश्वरुपिण्ये नंदिन्ये ते नमो नम:
यदि आप ज्योतिषी से संबंधित कुछ सुझाव लेना चाहते हैं, तो ज्योतिषी से संपर्क करें।
 
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