How to meditate
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ध्यान एक ऐसी विद्या है जो जीवन में समग्रता प्रदान करने वाली होती है. यह वह विद्या है जिसे प्राप्त करके व्यक्ति बंधनों से मुक्ति को पाने में सफल होता है. यह ध्यान साधना ही व्यक्ति को हर प्रकार से स्वतंत्रता का बोध कराने वाली होती है.
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ध्यान का अर्थ वर्तमान क्षण के बारे में जागरूक होने का मार्ग है. किंतु ध्यान कर पाना एक अत्यंत कठिन एवं जटिल विद्या है जिसे विकसित करने के लिए वर्षों की साधना भी कम होती है तो कई बार पल भर का प्रयास ही पूर्ण हो जाता है. इस ध्यान को पाना एक सतत प्रयास है जिसे पाकर व्यक्ति उन्मुक्त हो सकता है.
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ध्यान के अनेक प्रकार
ध्यान की अनेक विधियां हैं मेडिटेशन को कई रुपों में जाना जाता है. इसमें एकाग्रता करने, शरीर और सांस से जुड़ने, भावनाओं को नियंत्रित एवं विकसित करने और यहां तक कि चेतना को बदलने के अभ्यास जैसे कार्य इसमें शामिल हो सकते हैं. यह किसी भी रुप में हो सकता है जो तनाव में कमी के साथ साथ आत्म शुद्धि करने में सहायक बनता है. कई शारीरिक और मनोवैज्ञानिक लाभ प्राप्त हो सकते हैं.
अनेक आध्यात्मिक परंपराओं में ध्यान को उनकी शिक्षाओं एवं प्रथाओं के रुप में शामिल देखा जा सकता है. इसके अलावा इसे तकनीक भाषा के रुप में किसी विशेष धर्म या आस्था से संबंधित नहीं माना गया है. यह मूल रूप से प्राचीन चेतना है, फिर भी दुनिया भर की संस्कृतियों में शांति एवं आंतरिक सद्भाव की भावना पैदा करने के लिए आज भी इसका अभ्यास किया जाता है.
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ध्यान की कुछ विधियां
ध्यान या कहें मेडिटेशन की कई विधियों को विशेष रुप से देखा जा सकता है. इसमें मानसिक ध्यान, आध्यात्मिक ध्यान, केंद्रित ध्यान, मंत्र ध्यान साधना, दृश्य ध्यान अभ्यास इत्यादि चीजों के द्वारा मेडिटेशन को किया जाना विशेष रहा है. ध्यान की सभी ध्यान शैलियाँ हर किसी के लिए सही हों यह भी जरुरी नहीं हैं ओर जरूरी हों तो यह भी उचित तथ्य हो सकता है. यहां ध्यान के माम्ले में कौन सी विधि हमारे लिए हैं वह केवल उन विधियों को अपनाकर ही ज्ञात की जा सकती हैं.
ध्यान अभ्यास के लिए विभिन्न कौशल और मानसिकता की आवश्यकता होती है. साधारण शब्दों में यह वही है जो हमें आरामदायक लगता है और जिसे अभ्यास करने के लिए उत्साहित महसूस करते हैं.इस तरह से ध्यान की विधियों को अपना कर ध्यान को पाना संभव होता है.