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रेकी के संस्थापक डॉ. मिकाओ उसुई
1900 के दशक की शुरुआत में जापान के डॉ. मिकाओ उसुई के माध्यम से रेकी का ज्ञान लोगों तक पहुंचता है. उनके द्वारा इस विद्या को बहुत अधिक प्रसिद्ध मिलती है. डॉ. उसुई एक जापानी मूल के बौद्ध विचारक संत भी थे लोगों के कष्ट एवं परेशानियों को दूर करने के लिए उन्होंने इस विद्या को अपनाया. रेकी पर अपने अध्ययन से उन्हें यह समझ में आया कि ऊर्जाओं की एक विशेष अवस्था होती है, जहां व्यक्ति पूर्ण शांति मिल सकती है. इसी रेकी के द्वाता किसी के जीवन का सही मार्ग एवं सुरक्षा भी प्रदान की जा सकती है. डॉ. मिकाओ की खोज उन्हें यूरोप और अमेरिका के कई अलग-अलग देशों में ले जाती है अपनी इसी यात्रा में जब वह कोरी याना के पवित्र पर्वत की यात्रा करते हैं तब उन्हें इसकी अनुभूति होती है. अपने इस ज्ञान और इस खोज को दूसरों की मदद करने के लिए चिकित्सा एवं उपचार शक्ति के रुप में उपयोग करना आरंभ किया. उनके बाद उनके छात्रों ने इस विद्या को लोगों तक पहुंचाया और इसका प्रचार किया.
गणपति स्थापना और विसर्जन पूजा : 19 सितंबर से 28 सितंबर 2023
नवीन रेकी प्रचार
वर्तमान समय में रेकी की अनेको शाखाएं देखने को मिलती हैं. चक्रा रेकी, मनी रेकी, एंजेल रेकी से लेकर क्रिस्टल रेकी, होली फायर रेकी जैसी अनेक पद्धितियां हमारे सामने मौजूद हैं. आज जैसे-जैसे रेकी लोकप्रिय बढ़ती जा रही है तथा नवीन खोजों को किया जा रहा है ऎसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि रेकी की शुरुआत कहाँ से हुई और आज ये जहां हैं वहां इसका सही रुप में उपयोग होना आवश्यक है. इतने सारे विभिन्न प्रकारों के साथ, रेकी आज बेहद प्रभावशाली विद्या के रुप में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है.
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