reiki
- फोटो : my jyotish
रेकी की शुरुआत को एक हजारों वर्षों की यात्रा के रुप में देखा जा सकता है. इसके होने का कोई निश्चित समय बताना मुश्किल होगा लेकिन इसके आज तक होने की स्थिति ही इसकी विशेषता और महत्ता को दर्शाती है. यह एक ऎसी विद्या जो ऊर्जाओं पर आधारित है और जीवन का होना ही ऊर्जा के होने का विशेष रुप भी है. यह एक प्राचीन पद्धति है जो भारत के साथ साथ दूर देशों में भी फैलती चली जा रही है. माना जाता है कि भारत से निकल कर यह पद्धिति तिब्बत, चीन, जापान तक पहुंची जहां से इसने एक नया रुख अपनाया और वहीं से इसके विषय को अधिक मजबूती मिलती चली गई है. रेकी ने अपना मार्ग बनाते हुए खुद को आज भी सतत रुप से जारी रखा हुआ है. जापान में इसका नव स्वरुप विकसित हुआ और यहां से इसकी एक नई यात्रा भी आरंभ होती है.
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रेकी के संस्थापक डॉ. मिकाओ उसुई
1900 के दशक की शुरुआत में जापान के डॉ. मिकाओ उसुई के माध्यम से रेकी का ज्ञान लोगों तक पहुंचता है. उनके द्वारा इस विद्या को बहुत अधिक प्रसिद्ध मिलती है. डॉ. उसुई एक जापानी मूल के बौद्ध विचारक संत भी थे लोगों के कष्ट एवं परेशानियों को दूर करने के लिए उन्होंने इस विद्या को अपनाया. रेकी पर अपने अध्ययन से उन्हें यह समझ में आया कि ऊर्जाओं की एक विशेष अवस्था होती है, जहां व्यक्ति पूर्ण शांति मिल सकती है. इसी रेकी के द्वाता किसी के जीवन का सही मार्ग एवं सुरक्षा भी प्रदान की जा सकती है. डॉ. मिकाओ की खोज उन्हें यूरोप और अमेरिका के कई अलग-अलग देशों में ले जाती है अपनी इसी यात्रा में जब वह कोरी याना के पवित्र पर्वत की यात्रा करते हैं तब उन्हें इसकी अनुभूति होती है. अपने इस ज्ञान और इस खोज को दूसरों की मदद करने के लिए चिकित्सा एवं उपचार शक्ति के रुप में उपयोग करना आरंभ किया. उनके बाद उनके छात्रों ने इस विद्या को लोगों तक पहुंचाया और इसका प्रचार किया.
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नवीन रेकी प्रचार
वर्तमान समय में रेकी की अनेको शाखाएं देखने को मिलती हैं. चक्रा रेकी, मनी रेकी, एंजेल रेकी से लेकर क्रिस्टल रेकी, होली फायर रेकी जैसी अनेक पद्धितियां हमारे सामने मौजूद हैं. आज जैसे-जैसे रेकी लोकप्रिय बढ़ती जा रही है तथा नवीन खोजों को किया जा रहा है ऎसे में यह समझना महत्वपूर्ण है कि रेकी की शुरुआत कहाँ से हुई और आज ये जहां हैं वहां इसका सही रुप में उपयोग होना आवश्यक है. इतने सारे विभिन्न प्रकारों के साथ, रेकी आज बेहद प्रभावशाली विद्या के रुप में अपनी जगह बनाने में कामयाब रही है.
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