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Home ›   Blogs Hindi ›   Health effects of chakra imbalance: Know the effects of imbalance of chakras on health.

Health effects of chakra imbalance: जानें चक्रों के असंतुलित होने का स्वास्थ्य पर प्रभाव

Acharyaa RajRani Updated 06 Dec 2023 11:17 AM IST
Health effects of chakra imbalance
Health effects of chakra imbalance - फोटो : my jyotish
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शरीर में मौजूद सभी चक्र हमारी जीवन शक्ति को प्रभावित करने वाले होते हैं. इन चक्रों का किसी न किसी पक्ष पर अधिक गहरा असर भी देखने को मिलता है. सभी सातों चक्रों का शरीर पर असर पड़ता है ओर इस असर का गहरा प्रभाव देखने को मिलता है. 

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चक्र का प्रभाव 
यदि इन सातो चक्रों में से कोई भी चक्र असंतुलित हो तो शरीर उससे प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता है. इन चक्रों का शरिर के जिस मूल भाग पर आधिपत्य होता है उस पर यह चक्र विशेष असर डालते हैं. जब शरीर के जिस भाग पर चक र अस्म्तुलित होता है तो वह भाग जल्द से जल्द प्रभावित होता है ओर शरीर रोग ग्रस्त होने साथ ही मानसिक रुप से विचारधारा भी प्रभावित दिखाई देती है. मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए शारीरिक चक्रों का संतुलित होना अहम है.  

स्वास्थ्य पर चक्रों का प्रभाव 
मूलाधार चक्र

मूलाधार चक्र रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले भाग पर स्थित होता है. इस चक्र का रंग लाल है. यह चक्र शरीर को सुरक्षित और स्वास्थ्य को संतुलित रखता है इस चक्र के असंतुलन के कारण बार-बार नकारात्मक सोच आती है और व्यक्ति आलसी और असुरक्षित महसूस करने लगता है. 

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स्वाधिष्ठान चक्र
स्वाधिष्ठान चक्र नाभि के नीचे जनांगों के पास होता है. इसका रंग नारंगी होता है. यह जीवन को जुनून से भरता है. इसके अनुकूल होने से यौन सुखों की प्राप्ति एवं प्रजनन संबंधी सुख अच्छा रहता है किंतु इसे असंतुलित होने पर इन चीजों से भय बन जाता है ओर कष्ट की स्थिति उभरती है.  

मणिपुर चक्र
मणिपुर चक्र नाभि के पास कुछ ऊपर स्थित होता है और इसका रंग पीला है. इस चक्र के द्वारा स्वाभिमान, आत्म अभिव्यक्ति की भावना, पद, प्रसिद्धि का सुख मिलता है. लेकिन इस चक्र के अंस्तुलित होने पर इन चीजों से असुरक्षा का भाव बढ़ता है. पेट से जुड़े विकार भी इसके कारण अधिक प्रभावित कर सकते हैं. 

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अनाहत चक्र
अनाहत चक्र को हृदय चक्र भी कहा जाता है क्योंकि यह इसके अधिक पास होता है. इसका रंग हरा होता है. यह चक्र रिश्तों का प्रेम प्रदान करता है. प्रेम एवं संतोष को प्रदान करता है. स्वभाव की मधुरता मिलती है. इस चक्र के असंतुलित होने पर कष्ट एवं भय की अनुभूति अधिक होती है. व्यर्थ की चिंता एवं तनाव बने रहते हैं भावनात्मक रुप से व्यक्ति असंतुलित रहता है. 

अजना चक्र
अजना चक्र माथे के मध्य में स्थित होता है जिसे तीसरी आंख के रुप में स्थान प्राप्त होता है. इस चक्र के संतुलित होने से आपके जीवन और दिल-दिमाग में संतुलन होता है और जब यह असंतुलित होता है तो अनिद्रा, मानसिक संताप, नेत्र रोग इत्यादि को प्रदान कर सकता है. 
 
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सहस्रार चक्र 
इस चक्र को क्राउन चक्र भी कहा जाता है जो हमारी चेतना का बिंदु बनता है. इस चक्र के प्रभावित होने के कारण व्यक्ति मानसिक अस्थिरता को पाता है. किसी प्रकार की दिमागी चिंता एवं रोग इस चक्र के असंतुलित होने पर तेजी से उभरता है.
 
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