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Home ›   Blogs Hindi ›   Hanuman Puja: Fulfill wishes on Tuesday & Janmotsav Bajrangban.

Hanuman ji Puja: मंगलवार और हनुमान जन्मोत्सव बजरंगबाण से हर मनोकामना होगी पूरी

Acharya Rajrani Sharma Updated 23 Apr 2024 12:09 PM IST
Hanuman
Hanuman - फोटो : myjyotish

खास बातें

Hanuman Stotra : शास्त्रों के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए शुभ होता है. इस दिन पर हनुमान जी के साथ मंगल देव का स्वामित्व माना गया है. ऎसे में मंगलवार के दिन हनुमानजन्मोत्सव का योग बेहद ही चमत्करिक रुप से अपना असर दिखाने वाला होगा.
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Hanuman Stotra : शास्त्रों के अनुसार मंगलवार का दिन हनुमान जी की पूजा के लिए शुभ होता है. इस दिन पर हनुमान जी के साथ मंगल देव का स्वामित्व माना गया है. ऎसे में मंगलवार के दिन हनुमानजन्मोत्सव का योग बेहद ही चमत्करिक रुप से अपना असर दिखाने वाला होगा. आइये जान लेते हैं इस दिन बजरंगबांण के पाठ से कैसे मिलेगी आपको सफलता.

Hanuman Puja Vidhi: हनुमान जी की पूजा में किए जाने वाले मंत्रों का जाप और साथ ही स्त्रोत का पाठ करना बहुत चमत्कारिक माना गया है. इस समय यदि बजरंगबाण का पाठ कर लिया जाए तो सभी प्रकार के कष्टों से तुरंत निजात प्राप्त संभव होती है.

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मंगलवार के दिन हनुमान जन्मोत्सव

मंगलवार के दिन भगवान हनुमान का जन्मोतस्व पर्व अपने आप में ही शुभ योगों से परिपूर्ण होगा. इस दिन किया गया भगवान हनुमान जी के प्रति बजरंगबाण बहुत ही असरदायक होगा. इस समय यदि आप किसी मनोकामना की पूर्ति करना चाहते हैं तो अवश्य ही इस पाठ को करना शुभ फल प्रदान करने वाला होगा. बजरंग बाण पाठ के लाभ कई तरह से भक्तों को प्राप्त होते हैं. यदि कार्य में अड़चन बनी हुई है या फिर कोई काम नहीं हो पा रहा है तो मंगलवार के दिन इस पाठ को करने से मिलेगा विशेष लाभ.

आर्थिक समस्याओं से अगर परेशान हैं तो मंगलवार के दिन इस स्त्रोत का पाठ करने से आर्थिक तंगी से जुड़े मसले भी दुर हो जाते हैं. इस दिन भगवान हनुमान जी के समक्ष घी का दीपक जला कर 11 बार इस बजरंग बाण पाठ को करने से आर्थिक संकट टल जाते हैं.
 
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बजरंग बाण पाठ

"निश्चय प्रेम प्रतीति ते, बिनय करैं सनमान।"

"तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥"

चौपाई

जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महासुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु महि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाई लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु महँ बोरा। अति आतुर जमकातर तोरा।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा। लूम लपेट लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर में भई।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु उर अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होय दुख हरहु निपाता।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर। सुर समूह समरथ भटनागर।।
ॐ हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहिं मारु बज्र की कीले।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो। महाराज प्रभु दास उबारो।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो। बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ऊँ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के। रामदूत धरु मारु जाय के।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत हौं दास तुम्हारा।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता। शंकरसुवन वीर हनुमन्ता।।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रतिपालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बेताल काल मारी मर।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।।
जनकसुता हरिदास कहावौ। ताकी शपथ विलम्ब न लावो।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई। पांय परों कर ज़ोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता। ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल। ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होय आनन्द हमारो।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै। ताहि कहो फिर कौन उबारै।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
यह बजरंग बाण जो जापै। ताते भूत प्रेत सब काँपै।।
धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तन नहिं रहै कलेशा।।

दोहा
" प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान। "
" तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान।। "
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