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Hal Shashthi 2023 Date: संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है हल षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि

my jyotish expert Updated 02 Sep 2023 01:29 PM IST
Hal Shashthi 2023 Date: संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है हल षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि
Hal Shashthi 2023 Date: संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है हल षष्ठी व्रत, जानें पूजा विधि - फोटो : google
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पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के दौरान आने वाला हल षष्ठी का व्रत संतान के सुख एवं सौभाग्य के लिए रखा जाता है. यह व्रत माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं. इस दिन बलराम जयंती भी मनाई जाती है. हल षष्ठी का व्रत भादो मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है जो जन्माष्टमी से पहले पड़ती है. इसके बद ही श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी आता है.  इस बार यह व्रत सितंबर माह को आने वाला है इसे हल छठ भी कहा जाता है.

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हल षष्ठी और बलराम जन्मोत्सव 
भादो कृष्ण षष्ठी को हिंदू धर्म के अनुयायियों द्वारा बलराम जयंती के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था. बलराम जयंती पर माताएं भगवान श्रीकृष्ण सहित उनके बड़े भाई बलराम की विधि-विधान से पूजा करती हैं. अपने बेटे की लंबी उम्र का आशीर्वाद मांगती है. पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का यह व्रत 5 सितंबर 2023, दिन मंगलवार को किया जाएगा. 

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हल छठ व्रत पूजा विधि
छठ व्रत के दौरान हल से जुते अनाज और सब्जियों का उपयोग नहीं किया जाता है. इस व्रत में केवल वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब या खेत में उगी होती हैं जैसे चावल, केरमुआ सब्जी, पसही चावल आदि से बना भौजन उपयोग में लाया जाता है. इस व्रत में किसी भी गौ से बने उत्पाद जैसे दूध, दही आदि का उपयोग नहीं किया जाता है. छठ व्रत के दौरान भैंस के दूध, दही और घी का उपयोग किया जाता है. इस व्रत के दिन घर या बाहर कहीं भी दीवार पर भैंस के गोबर से छठ माता की तस्वीर बनाई जाती है. जिसके बाद गणेश और माता गौरा की पूजा की जाती है. महिलाएं घर में तालाब बनाकर उसमें पलाश इत्यादि के पेड़ लगाती हैं और वहीं बैठकर पूजा करती हैं और हल षष्ठी की कहानी सुनती हैं. इसके बाद वह प्रणाम करके पूजा समाप्त करती हैं.

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हल षष्ठी का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, बलराम जयंती, हल छठ या हल षष्ठी का व्रत संतान की लंबी उम्र और सुखी जीवन के लिए किया जाता है. इस दिन निर्जला व्रत रखते हैं और भगवान बलराम और हल की विधि-विधान से पूजा करती हैं. इस दिन दान एवं पूजन करने से सुख सौभाग्य बना रहता है.
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