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Guru Pradosh Vrat : जून माह का दूसरा गुरु प्रदोष व्रत अभी नोट कर लें पूजा की डेट और विधि

MyJyotish Expert Updated 13 Jun 2023 10:58 AM IST
Guru Pradosh Vrat : जून माह का दूसरा गुरु प्रदोष व्रत अभी नोट कर लें पूजा की डेट और विधि
Guru Pradosh Vrat : जून माह का दूसरा गुरु प्रदोष व्रत अभी नोट कर लें पूजा की डेट और विधि - फोटो : google
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प्रदोष व्रत भगवान शिव के निमित्त रखा जाने वाला विशेष व्रत होता है. यह भक्तों के लिए अत्यधिक शुभ और बहुत महत्वपूर्ण समय होता है. यह व्रत शिव भक्तों के लिए विशेष महत्ता रखता है जिस प्रकार एकादशी वैष्णों के लिए महत्वपूर्ण है उसी प्रकार प्रदोष शिव भक्तों के लिए महत्वपूर्ण होता है. प्रदोष चंद्र मास के तेरहवें दिन अर्थात त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. प्रत्येक माह के दौरान दो प्रदोष होते हैं जिसमें से एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष के दौरान रखा जाता है.   

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प्रदोष भगवान शिव को प्रसन्न करने का त्यंत सुगम मार्ग भी है. यह अत्यधिक शुभ और मनोकामनाओं के पूर्ण होने का दिन है. प्रदोष शब्द सूर्यास्त के आसपास के समय संध्या को दर्शाता है. जिस दिन प्रदोष व्रत होता है उस दिन के नाम के अनुसार भी इसे पुकारा जाता है. जैसे इस बार गुरुवार के दिन इसका होना इसे गुरु प्रदोष व्रत के रुप में बताता है. 

प्रदोष व्रत पूजा शुभ मुहूर्त समय लाभ
गुरु प्रदोष व्रत 15 जून 2023 के दिन रखा जाएगा. शिव पुराण में प्रदोष व्रत के फायदों के बारे में बताया गया है. ऐसा कहा जाता है कि जो लोग प्रदोष व्रत का पालन करते हैं उन्हें सुख समृद्धि, संतान, शांति की प्राप्ति होती है. जो महिलाएं संतान की इच्छा रखती हैं वे इस व्रत को करके संतान के सुख को पाने में समर्थ होती हैं इसके अलावा यह प्रदोष व्रत समस्त प्रकार के दोषों को समाप्त कर देने वाला होता है इस व्रत को करने वालों को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है

गुरु प्रदोष व्रत बृहस्पतिवार 15 जून 2023 
19:20 से 21:21  
प्रदोष अवधि 02 घण्टे 01 मिनट
गुरु प्रदोष व्रत आषाढ़, कृष्ण त्रयोदशी
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 08:32 ए एम, 15 जून 
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 08:39 ए एम, 16 जून  

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गुरु प्रदोष व्रत से दूर होंगे सभी दोष 
गुरुवार के दिन होने के कारण यह व्रत गुरु के सभी प्रकार के दोष भी समाप्त करने वाला होगा. गुरु को सबसे शुभ एवं शक्तिशाली ग्रहों में से एक माना गया है. बृहस्पति ज्योतिष वैदिक ज्योतिष में बहुत महत्व रखता है. इसलिए जब कुंडली में बृहस्पति अनुकूल नहीं हो तो इस व्रत को करने से बृहस्पति अर्थात गुरु के शुभ फल प्राप्त होते हैं. बृहस्पति सौभाग्य और अपार धन, विलासिता, प्रसिद्धि, शक्ति और पद प्राप्ति के लिए विशेष होता है. 

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