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Gupt Navratri Day 1: गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन करें देवी काली का पूजनGupt Navratri : गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन जहां घट स्थापना संभव होती है वहीं देवी के प्रथम स्वरुप के पूजन का समय विशेष होता है.
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Gupt Navratri Day 1: गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन करें देवी काली का पूजन
Gupt Navratri : गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन जहां घट स्थापना संभव होती है वहीं देवी के प्रथम स्वरुप के पूजन का समय विशेष होता है. इस समय पर माता का पूजन सुख समृद्धि प्रदान करता है.
First Mahavidya : गुप्त नवरात्रि के दिन का आरंभ शैलपुत्री का पूजन होता है वहीं माँ काली को पूजन भी इस समय पर आरंभ होता है. महाकाली माता का पूजन देवी का आशीर्वाद प्रदान करता है.
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गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन करें माता के इस रुप का पूजन
गुप्त नवरात्रि के प्रथम दिन के दौरान माता काली का पूजन अत्यंत शुभ माना गया है. इस समय माता के शैल पुत्री के साथ ही देवी काली का पूजन भी किया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, काली माँ दस महाविद्याओं में से एक मानी गई हैं. माता की पूजा शक्ति के क्रम में अभिव्यक्तियों में से पहली है.माता एवं भगवान शिव का यह स्वरुप साधना एवं शक्ति के चित्र को दर्शाता है. गुप्त नवरात्रि के दिन किया माताका पूजन शुभता को प्रदान करने वाला होता है.
गुप्त नवरात्रि के दिन माता का पूजन विधान
गुप्त नवरात्रि के समय पर देवी पूजन में पूजा का आरंभ सुबह के समय आरंभ होता है. इस समय के दौरान में देवी के निमित्त कई तरह के कार्य संपन्न होते हैं. मां काली का पूजन करने के साथ ही मंत्र जाप करना. पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहनना बहुत शुभ रहता है.क्योंकि मां काली को लाल रंग प्रिय होता है अत: माता को इस रंग के वस्त्र अर्पित करना भी शुभ होता है.गुप्त नवरात्रि के दिन माता की मूर्ति या चित्र को लाल कपड़े के ऊपर रखकर पूजा करनी चाहिए. मंत्र जाप करना चाहिए. पूजा एवं मंत्रों का जाप करते समय मां काली को लाल फूल, फल और मिठाई का भोग अवस्य लगाना चाहिए. काली मात अके पुजन के समय तथा मंत्र का जाप करते समय हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पूजा करना शुभस्थ माना गया है.
गुप्त नवरात्रि साधना एवं प्रभाव
गुप्त नवरात्रि पूजा के द्वारा माता के संपूर्ण रुपों को नमन करना चाहिए. नव दिनों तक नियमित जप से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. पूजा के द्वारा जो शुभता उत्पन्न होती है, वह अस्तित्व में शक्ति का अहसास कराने वाली होती है. देवी का पूजन करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है. गुप्त नवरात्रि के दौरान सात्विकता के साथ पूजन करना चाहिए. मांसाहारी भोजन, प्याज और लहसुन से परहेज करना जरूरी होता है.गुप्त नवरात्रि में कराएँ मां दुर्गा सप्तशती का अमूल्य पाठ, घर बैठे पूजन से मिलेगा सर्वस्व 10 फरवरी -18 फरवरी 2024
महाकाली स्तोत्र Mahakali Stotra
अना दिं सुरा दिं म खा दिं भ वा दिं, स्वरूपं त्व दीयं न विन्दन्ति दे वाः ..1..जगन्मोहिनीयं तु वाग्वा दिनीयं, सुहृद पोषिणी शत्रु संहारणीयं |
वचस्तम्भनीयं किमुच्चाटनीयं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ..2..
इयं स्वर्गदात्री पुनः कल्पवल्ली, मनोजास्तु कामान्यथार्थ प्रकुर्यात |
तथा ते कृ तार्था भवन्तीति नित्यं, स्व रूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ..3..
सु रा पान मत्ता सुभक्तानुरक्ता, लस त्पूतचित्ते सदा विर्भवस्ते |
जप ध्यान पुजा सुधाधौ तपंका, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ..4..
चिदानन्दकन्द हसन्मन्दमन्द, शरच्चन्द्र कोटिप्रभापुन्ज बिम्बं |
मुनिनां कवीनां हृदि द्योतयन्तं, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ..5..
महामेघकाली सुरक्तापि शुभ्रा, कदाचिद्विचित्रा कृतिर्योगमाया |
न बाला न वृद्धा न कामातुरापि, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः .. 6..
क्षमास्वापराधं महागुप्तभावं, मय लोकमध्ये प्रकाशीकृतंयत् |
तवध्यान पूतेन चापल्यभावात्, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः .. 7..
यदि ध्यान युक्तं पठेद्यो मनुष्य, स्तदा सर्वलोके विशालो भवेच्च |
गृहे चाष्ट सिद्धिर्मृते चापि मुक्ति, स्वरूपं त्वदीयं न विन्दन्ति देवाः ..8..
इति महाकाली स्तोत्रम