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Gupt Navratri Ashtami : गुप्त नवरात्रि में जान लीजिए महाअष्टमी का महत्व और पूजा विधि.

Acharya Rajrani Sharma Updated 17 Feb 2024 10:13 AM IST
Gupt Navratri
Gupt Navratri - फोटो : my jyotish

खास बातें

Gupt Navratri Ashtami : गुप्त नवरात्रि में जान लीजिए महाअष्टमी का महत्व और पूजा विधि.

Magh Gupt Navratri : नवरात्रि के अंतिम रुप में अष्टमी ओर नवमी का समय अत्यंत विशेष होता है.  गुप्त नवरात्रि में सबसे खास होती है 
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Gupt Navratri Ashtami : गुप्त नवरात्रि में जान लीजिए महाअष्टमी का महत्व और पूजा विधि.


Magh Gupt Navratri : नवरात्रि के अंतिम रुप में अष्टमी ओर नवमी का समय अत्यंत विशेष होता है.  गुप्त नवरात्रि में सबसे खास होती है महाअष्टमी तिथि इस समय पर माता के पूजन की साधना का स्तर काफी उच्च स्तर का होता है. 
Gupt Navratri 2024 Puja : देवी पूजन में अष्तमी पूजन कई तरह से किया जाता है.  यह दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति के साथ साथ देवी के विशेष समय के लिए समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि दुर्गा अष्टमी का पूजन समस्त प्रकार की शुभता को प्रदान करने वाला होता है. 

गुप्त नवरात्रि पर दुर्गा अष्टमी के दिन माता के पूजन में कन्या पूजन भी अत्यंत विशेष होता है. गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत खास माना जाता है. इन दिनों में देवी दुर्गा के महाविद्या रूपों की विशेष पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि की हर तिथि का विशेष महत्व होता है. अष्टमी तिथि सबसे खास मानी जाती है. गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है. यह दिन मां दुर्गा की आठवीं शक्ति मां महागौरी के साथ ही महाविद्या को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा अष्टमी तिथि को राक्षसों का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं.इस कारण देवी पूजन के इस समय को महाष्टमी पूजन के रुप में पूजनीय होता है.

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मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधान 

गुप्त नवरात्रि के समय पर ही मासिक दुर्गाष्टमी का पर्व होता है. इस दिन कन्या पूजन भी किया जाता है. ऐ, गुप्त नवरात्रि के आखिरी दो दिन विशेष माने जाते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अष्टमी के दिन ही देवी दुर्गा ने चंड-मुंड का वध किया था. नवमी के दिन ही माता ने महिषासुर का वध करके संपूर्ण जगत की रक्षा की थी. इसलिए ये दो दिन खास माने जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा और व्रत के फल की पूर्णता प्राप्त होती है. अष्टमी के दिन व्रत रखकर माता रानी की पूजा करने के साथ ही कन्या पूजन शुभ होता है.

गुप्त नवरात्रि पूजा को पूरे विधि-विधान से करने पर माता रानी प्रसन्न होती हैं. देवी पूजन अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर देने वाला होता है. अष्टमी को पूजन के साथ साथ कन्याओं को पूजा जाता है. हवन किया जाता है.  माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि व्रत के अंत में उद्यापन किया जाता है. इस दौरान कन्या पूजन करना शुभ माना जाता है. माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि की अष्टमी के दिन कन्या पूजन एवं हवन करना बहुत शुभ होता है.
 

देवी स्त्रोत एवं पूजा मंत्र 

 

स्तोत्र

सर्वसङ्कट हन्त्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदायनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यमङ्गल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददम् चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
 

कवच

ॐकारः पातु शीर्षो माँ, हीं बीजम् माँ, हृदयो।
क्लीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटम् कर्णो हुं बीजम् पातु महागौरी माँ नेत्रम् घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा माँ सर्ववदनो॥
 

आरती

जय महागौरी जगत की माया। जय उमा भवानी जय महामाया॥
हरिद्वार कनखल के पासा। महागौरी तेरा वहा निवास॥
चन्द्रकली और ममता अम्बे। जय शक्ति जय जय माँ जगदम्बे॥
भीमा देवी विमला माता। कौशिक देवी जग विख्यता॥
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा। महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥
सती (सत) हवन कुंड में था जलाया। उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया। तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥
तभी माँ ने महागौरी नाम पाया। शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥
शनिवार को तेरी पूजा जो करता। माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो। महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥
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