मात्र रु99/- में पाएं देश के जानें - माने ज्योतिषियों से अपनी समस्त परेशानियों
गुप्त नवरात्रि पूजन
गुप्त नवरात्रि का तीसरा दिन है बुधवार 21 जून को मनाया जाएगा. इस समय मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा की जाती है और साथ ही षोडशी का पूजन होता है. षड प्रकार के फलों को देवी को इस दिन विशेष रुप से अर्पित किया जाता है. देवी का रूप अलौकिक और अतुलनीय है, जो ममता की छवि है.
यदि तीसरे स्वरुप मां चंद्रघंटा को देखें तो माता ने माथे पर अर्धचंद्र धारण किया हुआ है. इसलिए मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप को चंद्रघंटा कहा जाता है, मां की सवारी सिंह है और मां की दस भुजाएं शस्त्रों से सुशोभित हैं. इस दिन साधक का मन 'मणिपुर' चक्र में रहता है, इसलिए साधक अनदेखी चीजों का अवलोकन करने में भी सक्षम होता है. धार्मिक मान्यता है कि मां की पूजा और आराधना करने से साधक को यश, कीर्ति और सम्मान प्राप्त होता है.
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
गुप्त नवरात्रि पूजन विधि
गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन देवी के पूजन का आरंभ नित्य कर्मों से निवृत्त होकर आरंभ होता है. लाल या पीले वस्त्र माता को अर्पित किए जाते हैं. इसके बाद आचमन करके और मन्नत लेकर पूजा शुरू की जाती है. सूर्य देव को जल अर्पित करते हुए पूजा घर में चौकी पर मां की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए तथा मंत्रों के द्वारा माता की स्तुति और आवाहन किया जाता है.
पूजा में फल, फूल, दूर्वा, सिंदूर, अक्षत, धूप, दीप, अगरबत्ती आदि से पूजन होता है. मां को भोग स्वरुप हलवा और शहद अर्पित किया जाता है. माता त्रिपुरा सुंदरी जिन्हें षोडशी या श्री त्रिपुरा सुंदरी भी कहा जाता है, देवी शक्ति के कई रूपों में से एक हैं. देवी सुंदरता और प्रेम को प्रदान करती हैं इनका पूजन करने से व्यक्ति धन, स्वास्थ्य और खुशी को पाने में सक्षम होता है.