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Home ›   Blogs Hindi ›   This eternal light of Lord Shiva is illuminated in the Gorakhpur temple since Tretayug

त्रेतायुग से गोरखपुर मंदिर में प्रकाशवान है भगवान शिव की ये अखंड ज्योति

myjyotish expert Updated 30 Jun 2021 07:52 PM IST
त्रेतायुग से गोरखपुर मंदिर में प्रकाशवान है भगवान शिव की ये अखंड ज्योति
त्रेतायुग से गोरखपुर मंदिर में प्रकाशवान है भगवान शिव की ये अखंड ज्योति - फोटो : google
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उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर मंदिर का नाम प्रसिद्ध योगी गोरखनाथ जी के नाम पर रखा गया है। इनके गुरु मत्स्येंद्रनाथ ने प्राचीन नाथ संप्रदाय की स्थापना की थी जो हिन्दू धर्म का एक प्रमुख संप्रदाय है। उन्हें ही समर्पित करते हुए इस मठ का निर्माण किया गया था। ये मठ काफ़ी बड़ी जगह में फैला हुआ है। गोरखनाथ जी गुरु मत्स्येंद्रनाथ के सबसे प्रिय शिष्य माने जाते हैं और गोरखनाथ जी को शिव का अवतार भी माना जाता है। गोरखनाथ जी ने अपने गुरु के साथ मिलकर हठ योग और कई अन्य विशेष परंपराओं की स्थापना की थी।

ऐसी मान्यता है कि स्वामी गोरखनाथ हर युग में अलग अलग जगहों पर प्रकट हुए और योग विद्या का विस्तार किया। जैसे कि सतयुग में पंजाब में स्थित पेशावर में, त्रेतायुग में उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर में, द्वापर युग में द्वारिका के पास स्थित हरमुज में और कलियुग में सौराष्ट्र में स्थित गोरखमधी में। अगर गोरखपुर मठ की बात करें तो भारत में मौजूद नाथ संप्रदाय के दूसरे सभी मठों का रखरखाव मुख्य तौर से यहीं पर किया जाता है।

अखंड ज्योति और धूना:

11वीं शताब्दी में इस मंदिर को महन्तों के योगदान से नए रूप से निर्मित किया गया था। मगर 14वीं शताब्दी में जब अलाउद्दीन ख़िलजी का शासन चल रहा था तब उस दौरान इस मठ को तोड़ दिया गया था और मंदिर में उपस्थित सभी योगियों को वहां से ज़बरदस्ती निकाल दिया गया था।

इसका पुनः निर्माण किया गया मगर 17वीं शताब्दी में मुगल शासक औरंगज़ेब ने फिर इसे दो बार और तोड़ दिया। इन सबके बावजूद एक चीज़ थी जिसे कोई नष्ट नहीं कर पाया। ये थी वो अखंड ज्योति जो त्रेता युग में गुरु गोरखनाथ अपने साथ लेकर आए थे।

इतने आक्रमण के बाद भी ये अखंड ज्योति और धूना सुरक्षित रहे। ये मंदिर के अंदर के भाग में मौजूद है और ऐसी मान्यता है कि इससे आध्यात्मिक और धार्मिक शक्तियाँ उजागर होती है।

मंदिर परिसर की विशेषताएं:

ये मंदिर काफी विशाल और भव्य है। इसका विस्तार कुछ 52 एकड़ की भूमि में है। जैसे ही आप मंदिर के अंदर प्रवेश करेंगे आपको अमरनाथ योगी श्री गोरखनाथ जी की संगमरमर से बनी एक सफेद रंग की मूर्ति दिखेगी। इस मूर्ति को दिव्य माना जाता है और इसके आसपास श्री गोरखनाथ जी की चरण पादुकाएं भी रखी गई हैं।

जब मंदिर के चारों ओर घूमेंगे तो आपको अन्य कई देवी देवताओं की मूर्तियों के दर्शन होंगे। यहां आपको शिव जी और गणेश जी की मांगलिक मूर्तियां भी देखने को मिलेंगी। इसके अतिरिक्त मंदिर के पश्चिम भाग में काली माता का और उत्तर वर्ती दिशा में राधा कृष्ण का मंदिर है। साथ ही उत्तर भाग में काल भैरव और उत्तर पाश्रव में मां शीतला का मंदिर भी है। कुछ दूरी पर आपको भगवान शिव के एक भव्य शिवलिंग के भी दर्शन होंगे।

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मंदिर परिसर में आपको विष्णु जी, हनुमान जी, भीमसेन जी, संतोषी माता और कई देवी देवताओं के मंदिर मिलेंगे। यहां पर एक कुंड भी है जिसे भीम कुंड के नाम से संबोधित किया जाता है। इसके उपरांत आपको यहां पर यज्ञशाला और गौशाला देखने को भी मिलेंगे।

आरती और दर्शन के लिए उचित समय:

गोरखनाथ मंदिर प्रातः तीन बजे खुलता है और रात्रि आठ बजे बंद होता है। यहां पर हर दिन तीन बार आरती की जाती है। पहली आरती सुबह 3 से 4 बजे के बीच होती है। उसके बाद दूसरी आरती 11 बजे शुरू की जाती है। अंततः तीसरी और दिन की आखिरी आरती सायं 6 से 8 बजे की बीच होती है।

इसके अलावा मंदिर में हिंदू धर्म के कई त्योहार बड़े ही उत्साह और हर्षोल्लास से मनाए जाते हैं। इसमें होली, गुरु पूर्णिमा, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, विजयदशमी, इत्यादि आते हैं।

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