गायत्री मंत्र हर काम में दिलता है सफलता, जानें इसकी महिमा
गायत्री मंत्र सबसे पहले ऋग्वेद में मिलता है। इसके ऋषि विश्वामित्र और देवता सविता है। सम्पूर्ण ऋग्वेद के दस सहस्त्र मंत्रों में इस मंत्र के अर्थ की व्यंजना सबसे अधिक की गई है। इस मंत्र में 24 अक्षर है।हिंदू धर्म में गायत्री मंत्र का बहुत गुढ़गान मिलता है। गायत्री मंत्र बहुत ही प्रभावशाली मंत्र है। इस मंत्र का जाप बड़ी से बड़ी परेशानियों से मुक्ति मिलती है। ये मंत्र वेदों का एक महत्वपूर्ण मंत्र है। जिसकी महात्म ॐ के बराबर है।
इस मंत्र के उच्चारण से भगवान की प्राप्ति होती है। श्री गायत्री देवी की स्त्री के रूप में पूजा की जाती है। ब्रह्मा, विष्णु, महेश भी गायत्री देवी की पूजा किया करते है। कही कही ये बताया जाता है की सृष्टि के आरंभ में ब्रह्मा जी ने गायत्री का आवाह्न किया तो उस समय उनके मुख से गायत्री मंत्र निकाला।
इस साल गायत्री जयंती ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पड़ा है। पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी कोई धार्मिक कार्य कर रहे थे तो इस समय माता सावित्री वहा मौजूद नहीं थी।इस कारण यज्ञ में सम्मिलित होने के लिए वहा मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया। माना जाता है की सृष्टि के आदि में ब्रह्मा जी पर गायत्री मंत्र प्रकट हुआ था।गायत्री मंत्र केवल देवी देवता ही नहीं अपितु विश्वामित्र की कठोर तपस्या के कारण ये मंत्र आम जनता तक पहुंचाया। आइए जानते है गायत्री मंत्र की महिमा,कैसे इस मंत्र से परेशानियां खत्म हो जाती है :–
ये है गायत्री मंत्र के 24 अक्षरों का कमाल
गायत्री मंत्र के 24 वों अक्षरों के एक एक अर्थ है।ऋषियों ने 24 अक्षरों के 24 देवता बताए है। इन देवताओं की 24 चैतन्न्य शक्तियां है। गायत्री मंत्र के चौबीस अक्षर 24 शक्तियों के बीज मंत्र है। इस मंत्र की उपासना से साधु महात्मा सिद्धि प्राप्त करते है।अगर आप विद्यार्थी ही तो इस मंत्र का नियमित जाप करे मन एकाग्र होगा। कोई भी नियमित जाप करे तो घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इस मंत्र के जाप से मुक्ति मिलती हैं।
गायत्री मंत्र में छुपी है 24 शक्तियां
गायत्री मंत्र में चौबीस तरह की शक्तियां छुपी हुई है। वो निम्न है–
सफलता शक्ति,पराक्रम शक्ति , पालन शक्ति,कल्याण शक्ति ,योग शक्ति, प्रेम शक्ति ,धन शक्ति ,तेज शक्ति रक्षा, बुद्धि शक्ति ,दमन शक्ति ,निष्ठा शक्ति , प्राण शक्ति , धारण शक्ति , मर्यादा शक्ति , तप शक्ति , शांति शक्ति , कॉल शक्ति , उत्पादक शक्ति ,रस शक्ति , आदर्श शक्ति ,साहस शक्ति ,विवेक शक्ति ,सेवा शक्ति ।
गायत्री मंत्र का अर्थ भी समझें
ॐ भूर्भवः स्वयं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् । इस मंत्र को अत्यंत प्रभावी मंत्रों में से एक मंत्र माना जाता है। इसका अर्थ सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परमात्मा के तेज को हम ध्यान करते है, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें।
कुंडली में सूर्य को प्रबल करता ही गायत्री मंत्र
गायत्री मंत्र बहुत बड़ा मंत्र है ।कहा जाता है की जिस का भी सूर्य ग्रह कमजोर हो तो वो वयक्ति नियमित गायत्री मंत्र का जाप करें।ऐसा करने से सूर्य प्रबल हो जायेगा। इस मंत्र के जाप से दुखियों के दुःख का भी निवारण हो जाता है। अगर घर में नियमित इस मंत्र का जाप हो तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश घर में नहीं होगा।यदि मन को आप एकाग्र नहीं कर पा रहे है तो ,रोज इस मंत्र का जाप करें ,एकाग्रता में मदद मिलेगी। अगर आपके किसी काम में बार–बार रूकावटे आ रही है तो आप संकल्प ले कर इस मंत्र का जाप करें।आपका काम अवश्य सफल होगा।
गायत्री मंत्र के जाप का तरीका भी जानें
इस मंत्र का जाप सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहन कर करे। इस मंत्र का जाप कभी भी उच्च स्वर में नहीं करें। सुबह के समय गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से पहले आरंभ कर देना चाहिए और सूर्योदय के कुछ समय पश्चात तक करना चाहिए।
वैसे तो शुक्रवार का दिन देवी पूजा के लिए नियत किया गया है ये दिन प्रमुख माना गया है तो आप इस दिन गायत्री मंत्र की जाप से मां गायत्री की आराधना करे। इसके अलावा आप दोपहर में और सूर्यास्त होने से पहले तक जाप कर सकते है।