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त्रिपुष्कर योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती, बन रहे हैं दुर्लभ योग
गायत्री का पर्व शनिवार के दिन आना एक अत्यंत शुभ एवं महत्वपूर्ण समय को दर्शाता है. इस समय शनि देव कर्मफलदाता का प्रभाव ज्ञान के साथ मिलकर अदभुत फलों को प्रदान करने वाला होगा. इस समय शनि देव कुंभ राशि में, सूर्य, बुध वृष राशि में होंगे. सूर्य जो आत्मा है ज्ञान का प्रकाश है ओर बुध जो बुद्धि का मूल तत्व बनता है. गायत्री जयंती का समय शनिवार के दिन पर हो रहा है तो ऎसे में ज्ञान की भरपूरता का योग बन रहा है.
कर्मफल प्रदान करने वाले शनिदेव के साथ यह एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण योग है जो कई वर्षों के पश्चात बना है. इस समय पर शनि देव का पूजन करने से शनि से संबंधित समस्त कष्ट दूर होंगे ओर साथ ही देवी गायत्री का पूजन करने पर ज्ञान में भी शुभता का आगमन होगा और हमारे ज्ञान को सत्य का प्रकाश प्रदान होता है जो शनि देव न्याय स्वरुप आज गायत्री के साथ मौजूद होकर सभी के कल्याण हेतु आशीर्वाद प्रदान करेंगे.
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गायत्री जयंती शुभ मुहूर्त समय
ज्येष्ठ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि, त्रुपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, द्वादशी का लोप, शनिवार के समय इस वर्ष गायत्री जयंती का पावन पर्व संपन्न होगा. ऎसे में आज का दिन अत्यंत दुर्लभ संयोग से निर्मित होता है गायत्री जयंती के दिन विधि- विधान से गायत्री पूजा से ज्ञान एवं बुद्धि का आशिर्वाद मिलता है. गायत्री जयंती के अवसर पर सर्वार्थ सिद्धि योग 11 जून को 05: 23 से प्रारंभ होग और त्रिपुष्कर योग 02:05 से आरंभ होगाइस दिन परिघ योग रहेगा उसके बाद शिव योग आरंभ होगा. अभिजित मुहूर्त 11:53 से 12:49 तक रहेगा.
आज के दिन निर्जला एकादशी पारण, गायत्री जयन्ती, रामलक्ष्मण द्वादशी, त्रिपुष्कर योग, सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. त्रिपुष्कर योग को एक अत्यंत शुभ योग माना जाता है इस समय पर किया जाने वाला शुभ कार्य तीन गुणा शुभता प्रदान करता है तथा उस कार्य की वृद्धि भी शुभता प्रदान करती है. त्रिपुष्कर योग में विशेष बहुमूल्य सामान खरीदना अच्छा होता है क्योंकि इस योग में खरीदी गई वस्तु भविष्य में उसके अनुसार तीन गुना होकर शुभता देने में सहायक होती है. सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण होने से कार्यों में सिद्धि एवं शुभता का एक अन्य योग निर्मित होता है. ..
वेदों का मुख्य आधार ही मंत्र रहे हैं ये मंत्र जाप आदिकाल से ही हमारे मध्य विद्यमान हैं और इन मंत्रों को विज्ञान ने भी माना है. वेदों में समस्त प्रकार के सुख प्राप्ति हेतु एवं सभी कष्ट निवारण हेतु मंत्र सिद्धि को प्रमुखता दी है ऎसे में शिक्षा एवं ज्ञान से संबंधित सभी प्रकार के सुख को प्राप्त करने के लिए गायत्री देवी का आहवान विभिन्न प्रकार के मंत्रों द्वारा किए जाने का विधान बताया गया है .
श्री गायत्री माता की आरती
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
आदि शक्ति तुम अलख निरंजन जगपालक कर्त्री ।
दु:ख शोक, भय, क्लेश कलश दारिद्र दैन्य हत्री ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ब्रह्म रूपिणी, प्रणात पालिन जगत धातृ अम्बे ।
भव भयहारी, जन-हितकारी, सुखदा जगदम्बे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जन्मकुंडली ज्योतिषीय क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है
भय हारिणी, भवतारिणी, अनघेअज आनन्द राशि ।
अविकारी, अखहरी, अविचलित, अमले, अविनाशी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
कामधेनु सतचित आनन्द जय गंगा गीता ।
सविता की शाश्वती, शक्ति तुम सावित्री सीता ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
ऋग, यजु साम, अथर्व प्रणयनी, प्रणव महामहिमे ।
कुण्डलिनी सहस्त्र सुषुमन शोभा गुण गरिमे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्वाहा, स्वधा, शची ब्रह्माणी राधा रुद्राणी ।
जय सतरूपा, वाणी, विद्या, कमला कल्याणी ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जननी हम हैं दीन-हीन, दु:ख-दरिद्र के घेरे ।
यदपि कुटिल, कपटी कपूत तउ बालक हैं तेरे ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
स्नेहसनी करुणामय माता चरण शरण दीजै ।
विलख रहे हम शिशु सुत तेरे दया दृष्टि कीजै ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
काम, क्रोध, मद, लोभ, दम्भ, दुर्भाव द्वेष हरिये ।
शुद्ध बुद्धि निष्पाप हृदय मन को पवित्र करिये ॥
॥ जयति जय गायत्री माता..॥
जयति जय गायत्री माता,
जयति जय गायत्री माता ।
सत् मारग पर हमें चलाओ,
जो है सुखदाता ॥