खास बातें
Gangaur Mata गणगौर माता का पूजन सौभाग्य एवं सुख को प्रदान करता है. चैत्र माह में आने वाला गणगौर पर्व बहुत धूम धाम के साथ मनाया जाता है. यह एक लोक पारंपतिक त्योहार है जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन मनाया जाता है.
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Gangaur or Gauri Tritiya गण गौर का पर्व गौरी तृतीया के रुप में भी पूजा जाता है. चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से ही नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं. यह पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया पर संपन्न होता है.
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गणगौर शब्द दो शब्दों गण और गौर से मिलकर बना है. यह शिव पार्वती पूजन का समय होता है. विवाह सुख की कामनाओं को पूरा करता है. गण को शिव और गौर को माता पार्वती के रुप में पूजा जाता है. गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है. महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं अपने सुखी सौभाग्य की कामना करती है. इस दिन मिट्टी की मूर्ति से गणगौर बनाकर इसकी पूजा होती है. इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है तथा मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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गणगौर पूजा विधि
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मनाए जाने वाले गणगौर पर्व की तैयारी को काफी समय पहले से ही करना शुरु कर लिया जाता है. यह महिलाओं के लिए भक्ति, गीत, नृत्य और आनंद का समय है. इसे तीज के रुप में मनाया जाता है. इस समय के दौरान तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं जिनका भोग भगवान को अर्पित करते हैं. गणगौर में गाए जाने वाले गीतों से शुभता और मंगल की प्राप्ति होती है. पूजा के समय पर देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है. स्त्रियां अपने सुहाग की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं. इस त्यौहार की विशेष रौनक राजस्थान में देखने को मिलती है. यह त्यौहार राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात के कुछ इलाकों में भी मनाया जाता है.चैत्र नवरात्रि कालीघाट मंदिर मे पाए मां काली का आशीर्वाद मिलेगी हर बाधा से मुक्ति 09 अप्रैल -17 अप्रैल 2024
गणगौर पूजा महत्व विशेष
गणगौर माता की पूजा से सौभाग्य और सुख की प्राप्ति होती है. चैत्र माह में गणगौर का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. गण गौर के पर्व को गौरी तृतीया के रूप में भी पूजा जाता है और नवविवाहिता महिलाएं चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रतिदिन गणगौर की पूजा करती हैं.यह समय शिव और पार्वती की पूजा गण गौर के रुप में पूजा की जाती है, यह पूजा विवाह से संबंधित खुशियों की चाहत पूरी करती है. महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं और अपने सौभाग्य की कामना करती हैं. इस दिन मिट्टी से गणगौर बनाकर उसकी पूजा की जाती है। इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है और माना जाता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
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Gangaur Mata Ki Aarti
गणगौर माता आरती
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी
म्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी
म्हारी डूंगर चढती सी बेलन जी
म्हारी मालण फुलडा से लाय |
सूरज जी थाको आरत्यों जी
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी |
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी
ईसर जी थाको आरत्यो जी
थाका आरतिया में आदर मेलु पादर मेलू
पान की पचास मेलू
पीली पीली मोहरा मेलू , रुपया मेलू
डेड सौ सुपारी मेलू , मोतीडा रा आखा मेलू
राजा जी रो सुवो मेलू , राणी जी री कोयल मेलू
करो न भाया की बहना आरत्यो जी
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी