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Home ›   Blogs Hindi ›   Ganga Maa: Bathing in Ganga gives salvation, know its mythological importance

Ganga Maa: गंगा स्नान से होती है मोक्ष की प्राप्ति, जानें क्या है इसका पौराणिक महत्व

Nisha Thapaनिशा थापा Updated 11 Jun 2024 02:49 PM IST
गंगा स्नान से होता है पापों का शमन
गंगा स्नान से होता है पापों का शमन - फोटो : My Jyotish

खास बातें

Ganga Maa: गंगा में स्नान करने से मनुष्य को कई हर लाभ प्राप्त होता है, जिसका पौराणिक महत्व तो है ही साथ में वैज्ञानिक पहलू भी है। गंगा माता को इतना पवित्र इसलिए माना जाता है, क्योंकि गंगा माता स्वर्ग लोक में थीं फिर उन्होंने धरती लोक में अवतार लिया। तो आइए जानते हैं गंगा माता कैसे धरती पर अवतरित हुईं।
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Ganga Maa: हमारी सनातन संस्कृति प्रकृति के साथ जुड़ी हुई है। इसलिए, आपने देखा होगा कि जब भी कोई धार्मिक त्योहार या पर्व आता है, तो सर्वप्रथम लोग गंगा स्नान के लिए जाते हैं। गंगा का जल ना सिर्फ हमारे बाहरी शरीर को शुद्ध करता है, बल्कि हमारे आंतरिक मन की भी शुद्धि होती है। हमारे हिंदू संस्कृति में गंगा को माता का दर्जा दिया गया है और इसके पीछे पौराणिक कारण तो है, साथ ही वैज्ञानिक पहलू भी है, क्योंकि एकमात्र गंगा का ही जल ऐसा जल है, जो कभी भी खराब नहीं होता है और इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी अब मिल ही चुका है। 
 

गंगा माता है मोक्षदायिनी


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि, गंगा स्नान से पापों का समान होता है और कई प्रकार के पुण्य प्राप्त होते हैं। इसलिए आपने देखा होगा कि हमारे बड़े बुजुर्ग गंगा स्नान की इच्छा जरूर जाहिर करते हैं और कहा जाता है कि मृत्यु से पूर्व मनुष्य के सभी पाप गंगा स्नान करने से बह जाते हैं। गंगा माता मोक्षदायिनी हैं और इसका पौराणिक महत्व भी है। मान्यता के अनुसार भागीरथ के पूर्वजों गंगा माता ने ही मुक्ति दी थी।
 

भारीगथ से जुड़ी है गंगा के अवतरित होने की कथा

 

पौराणिक कथा के अनुसार, भागीरथ के पूर्वज राजा सगर के 60 हजार पुत्र थे। कहा जाता है कि एक बार देवराज इंद्र ने राजा सागर के अश्वमेध घोड़े को पकड़ लिया था और घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया। जब राजा सगर को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने अपने 60 हजार पुत्रों को घोड़े की तलाश में भेज दिया और घोड़े की तलाश में सभी पुत्र कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे। लेकिन तब मुनि अपनी तपस्या में लीन थे और सगर के 60 हजार पुत्रों ने आश्रम पर हमला बोल दिया, जिससे मुनि की तपस्या भी भंग हो गई और मुनी क्रोधित हो गए। उन्होंने क्रोध में आकर जैसे ही अपनी आंखें खोलीं, तो उनकी आंखों से तेज अग्नि निकली, जिससे राजा के 60 हजार पुत्र भस्म हो गए। 60 हजार पुत्रों को मुक्ति केवल तभी मिल सकती थी कि जब उन्हें गंगा में  प्रवाहित किया जाए, लेकिन गंगा उस समय केवल स्वर्ग लोक में ही थीं। धरती पर गंगा माता को लाने के लिए उनके पौत्र और परपौत्रों ने कठोर तप किया, लेकिन वह इस कार्य में सफल नहीं हो पाए। तब उनके वंशज भागीरथ ने प्रण लिया कि वह गंगा माता को धरती पर अवतरित करके ही रहेंगे। इसके लिए वह हिमालय गए और कठोर तप प्रारंभ किया।


गंगा माता धरती पर कैसे अवतरित हुईं?


भागीरथ की तपस्या से गंगा माता धरती पर अवतरित होने के लिए तैयार हो गईं, लेकिन उनका वेग बहुत ही तेज था, जो सिर्फ भगवान शिव ही संभाल सकते थे। इसलिए भगवान शिव ने गंगा माता को अपनी जटाओं में समेट लिया। इसके बाद भगवान शिव की जटाओं से गंगा माता ने धरती पर अवतार लिया और इस प्रकार से भागीरथ के  60 हजार पूर्वजों को भी मुक्ति मिल गई। तो इससे बाद से मनुष्य के अंतिम संस्कार के बाद उसकी अस्थियों को गंगा में ही बहाया जाता है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके।
 

गंगा स्नान के लाभ

  • गंगा में स्नान करने से ना सिर्फ तन शुद्ध होता है बल्कि मन में भी शांत होता है।  
  • गंगा में स्नान से करने से गंगा माता अपने भीतर मनुष्यों से सभी पापों को समा लेती है।
  • गंगा में स्नान से पाप दूर होते हैं। 
  • गंगा स्नान से समस्त दोष दूर होते हैं।
  • गंग स्नान से व्यक्ति तो मोक्ष की प्राप्ति होती है। 
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