Ganesh Visarjan 2023
- फोटो : my jyotish
गणेश उत्सव के दौरान गणपति बप्पा का स्वागत होता है तो वहीं इस उत्सव का समापन गणपति विसर्जन के साथ होता है. इस उत्सव की शुरुआत गणेश चतुर्थी के दिन से शुरू हो जाती है ऐसे में इसे पूरे देश में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. यह उत्सव दस दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन के साथ समाप्त होता है. इस दिन ही इस का विसर्जन समय भी होता है. वैसे तो हर कोई अपने-अपने अनुसार गणपति को घर या मंदिर में स्थापित करता है और विसर्जन करता है. लेकिन एक पूर्ण रुप से समापन तिथि के दौरान जब विसर्जन किया जाता है तो वह एक निश्चित तिथि पर होता है. इस के साथ ही गणपति जी की विदाई होती है. आइए जानते हैं गणपति विसर्जन से संबंधित विशेष बातें ओर इसका महत्व.
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गणपति विसर्जन और विशेष नियम
हिंदू धर्म में भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. बप्पा को विघ्नहर्ता, खुश्कर्ता, विनायक आदि कई नामों से भी जाना जाता है. किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है. गणेश चतुर्थी के दसवें दिन यानी अनंत चतुर्दशी पर गणपति विसर्जन किया जाता है. कुछ लोग डेढ़, तीन, पांच या सातवें दिन भी गणपति का विसर्जन करते हैं. भगवान गणेश को विसर्जित करने से पहले उनकी विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए.
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गणपति आरती करनी चाहिए. यदि संभव हो तो आप हवन भी कर सकते हैं. मान्यता है कि अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी अपने घर लौटते हैं. ऐसे में उन्हें खाली हाथ विदा न किया जाए, इसलिए विसर्जन से पहले उनके हाथ में मोदक की पोटली दी जा सकती है.
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विसर्जन महत्व का प्रभाव
गणपति विसर्जन द्वारा भक्तों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है. गणेश जी का विसर्जन मिट्टी की छोटी मूर्ति है तो आप अपने घर पर ही पानी के टब में गणपति जी का विसर्जन कर सकते हैं. विसर्जन के बाद मांस, शराब आदि के सेवन से बचना चाहिए. साथ ही इस दिन शुचिता का पालन करना चाहिए. इन बातों को ध्यान में रखते हुए किया जाने वाला गणपति विसर्जन भक्तों को सुख प्रदान करता है.