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Ganesh Puja: इसके बिना अधूरी मानी जाती है भगवान गणेश की पूजा ध्यान रखें पूजा में इस बात का

myjyotish Updated 15 Sep 2023 09:55 AM IST
Ganesh Puja: इसके बिना अधूरी मानी जाती है भगवान गणेश की पूजा ध्यान रखें पूजा में इस बात का
Ganesh Puja: इसके बिना अधूरी मानी जाती है भगवान गणेश की पूजा ध्यान रखें पूजा में इस बात का - फोटो : my jyotish
गणेश जी का पूजन किसी भी कार्य के आरंभ होने पर प्रथम रुप से किया जाता है. भगवान श्रीगणेश की पूजा में कई तरह की चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन एक चीज ऐसी भी है जिसके बिना गणपति की पूजा अधूरी मानी जाती है.

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भगवान को अर्पित की जाने वाले पूजन सामग्री में एक वस्तु को सदैव रखा जाता है उसके बिना पूजा का फल अधूरा ही माना जाता है. आईये जानते हैं भगवान के पूजन में इस खास वस्तु का होना क्यों जरूरी है और क्यों होती है इसके बिना पूजा अधूरी. 

गणेश पूजा में दुर्वा 
गणेश जी की पूजा में दूर्वा वह अमूल्य वस्तु है जो अवश्य रखी जाती है. दुर्वा एक प्रकार की घास है जो भगवान गणेश को बहुत प्रिय है.  भगवान श्रीगणेश अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं और भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की चीजें चढ़ाते हैं. लेकिन एक चीज जो भगवान गणेश को मुख्य रूप से चढ़ाई जाती है वह है दूर्वा. दूर्वा के बिना भगवान गणेश की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है. दूर्वा एक प्रकार की घास है. इसका उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है. भगवान श्रीगणेश को दूर्वा क्यों चढ़ाई जाती है इसके पीछे एक कहानी है जो इस प्रकार है...

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पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक राक्षस था. वह सभी लोगों को जिंदा निगल जाता था. उसके अत्याचारों से तीनों लोक त्रस्त हो गये. देवता, ऋषि, मनुष्य आदि सभी उससे डरे हुए थे तब इंद्र सहित सभी देवता भगवान शिव के पास गए और उन्हें अनलासुर के आतंक के बारे में बताया और उसे खत्म करने की प्रार्थना की.

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भगवान शिव ने देवताओं से कहा कि केवल भगवान गणेश ही राक्षस अनलासुर को नष्ट कर सकते हैं. तब सभी देवता श्रीगणेश के पास गए और उन्हें अपनी समस्या बताई. देवताओं की बातें सुनकर भगवान श्रीगणेश और अनलासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ. भगवान गणेश ने उसे जीवित ही निगल लिया.

दुर्वा से शांत हुई जलन  
अनलासुर को निगलने के कारण श्रीगणेश के पेट में तेज जलन होने लगी. तब ऋषि कश्यप ने दूर्वा भगवान गणेश को खाने के लिए दीं. जैसे ही गणेशजी ने दूर्वा खाई, उनके पेट की जलन शांत हो गई. तभी से दूर्वा भगवान श्रीगणेश को अत्यंत प्रिय है और इसके बिना उनकी पूजा पूरी नहीं मानी जाती.

 
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